प्रयागराज के नवाबगंज स्थित एक ईंट के भट्ठे पर हेडफोन लगाकर जेसीबी चलाते हुए ड्राइवर ने डेढ़ साल की छोटी बच्ची को कुचल दिया जिसके बाद बच्ची ने मौके पर ही दम तोड़ दिया. परिवार वालों के चिल्लाने पर भी जेसीबी का ड्राइवर नहीं सुना. घटना के बाद ड्राइवर जेसीबी छोड़ फरार हो गया और पुलिस जेसीबी ड्राइवर की तलाश कर रही है. छोटी सी लापरवाही के चलते एक बच्ची की जान चली गई.
जेसीबी के नीचे लगभग दो घंटे तक दबी रही बच्ची
गंगापार के नवाबगंज थानांतर्गत संहई ग्राम स्थित एक ईंट-भट्ठे पर गुरुवार शाम हेडफोन लगाकर जेसीबी चला रहे ड्राइवर ने डेढ़ वर्ष की बच्ची को अपनी चपेट में ले लिया जिससे उसकी मौके पर ही उसकी मौत हो गई. इस घटना के समय बच्ची के माता-पिता समेत अन्य मजदूर ड्राइवर से जेसीबी रोकने के लिए जोर जोर से आवाज देते रह गए, लेकिन हेडफोन लगाए ड्राइवर शायद गाने में इतना मस्त रहा कि उसने किसी की आवाज नहीं सुनी. रुचि जेसीबी गाड़ी के नीचे आई, तब उसे इस बात की जानकारी हुई. जिसके बाद घबड़ाया ड्राइवर मौके पर जेसीबी छोड़कर चालक भट्ठा के कार्यालय में भागा, जहां उसका बचाव करने लिए कमरे में बंद कर दिया गया.उधर, जेसीबी गाड़ी के नीचे लगभग दो घंटे तक मासूम सी बच्ची का शव दबा रहा. मजदूरों ने किसी तरह से जेसीबी को जब आगे बढ़ाया, तब जाकर शव निकाला गया.संहई ग्राम सभा में लगभग दर्जनों भर ईंट भट्ठा संचालन हो रहे हैं. इसी में एक ईंट भट्ठा पर सीतापुर जनपद से एक ही परिवार के लगभग चार दर्जन से अधिक लोग मजदूरी का कार्य करते हैं. गुरुवार शाम करीब 5 बजे खराब हुई कच्ची ईंटों को जेसीबी गाड़ी से इक्कठा करवाया जा रहा था.
इसी बीच मंसूराबाद चौकी प्रभारी पहुंचे. मृतका के परिजनों से बातचीत की. बताया गया कि जेसीबी चालक को बचाने के लिए वहां स्थित कार्यालय के कमरे में बंद कर दिया गया है.जिसके बाद पुलिसकर्मी कमरे में पहुंचे तो चालक वहां से नदारद था.घरवालों का कहना है कि उसे वहां से भगा दिया गया.इसके बाद पुलिस ने बच्ची के शव को पोस्टमार्टम हाउस भिजवाया. चौकी प्रभारी ने बताया कि परिजनों की तहरीर पर जेसीबी चालक के विरुद्ध मुकदमा पंजीकृत कर लिया गया है.फिलहाल जेसीबी गाड़ी को पुलिस ने कब्जे में ले लिया है.भट्ठा मालिक से पूछताछ करके चालक की तलाश में कई जगह दबिश दी गई.
जिस भट्ठे में जन्मी, उसी भट्ठे में जान खोई
संहई स्थित ईंट-भट्ठे पर अवधेश नामक व्यक्ति और उसका बड़ा परिवार कई वर्षों से काम करते हैं. इसी भट्ठे पर करीब डेढ़ वर्ष पहले उसकी पत्नी ने प्यारी सी बच्ची को जन्मा था. उसका नाम परिवार वालों ने रुचि रखा. वह इतनी नटखट और प्यारी थी कि भट्ठे पर जितने भी मजदूर आते हैं सभी उससे बड़ा प्रेम किया करते थे. यहां तक कि भट्ठे पर बने कार्यालय में कार्यरत कर्मचारी भी उसे दुलार प्यार करते थे. लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण रहा कि जिस भट्ठे से उसकी जिंदगी शुरू हुई वहीं अंत भी हो गई.
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