Up Election 2027: उत्तर प्रदेश की राजनीति में तीसरे मोर्चे के रूप में नई हलचल देखने को मिली है. पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने अपनी नई राजनीतिक पहल के तहत ‘लोक मोर्चा’ नाम से गठबंधन की घोषणा की है. इस गठबंधन का उद्देश्य प्रदेश की जनता को भाजपा और सपा जैसे मौजूदा विकल्पों के अलावा तीसरा मजबूत विकल्प देना है. खास बात यह रही कि मौर्य ने खुद को इस मोर्चे का मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार भी घोषित कर दिया है.
किन दलों का है लोक मोर्चा में साथ?
स्वामी प्रसाद मौर्य ने बताया कि लोक मोर्चा कुल 9 छोटे लेकिन जातिगत आधार पर मजबूत दलों का गठबंधन है. यह गठबंधन “जिसकी जितनी संख्या भारी, उसकी उतनी हिस्सेदारी” के सिद्धांत पर आधारित है. इस मोर्चे में शामिल प्रमुख दलों में शामिल हैं अपनी जनता पार्टी, राष्ट्रीय समानता दल, सम्यक पार्टी, जनसेवा दल, पॉलिटिकल जस्टिस पार्टी, सर्वलोकहित समाज पार्टी, स्वतंत्र जनता राज पार्टी, सबका दल-U और लोकतंत्र सुरक्षा पार्टी। इन सभी दलों ने स्वामी प्रसाद मौर्य को मुख्यमंत्री पद के लिए अपना साझा उम्मीदवार घोषित किया है.
पीडीए फॉर्मूले की राह पर मौर्य, बीजेपी के वोट बैंक पर निगाह
स्वामी प्रसाद मौर्य के नेतृत्व में बना यह गठबंधन समाजवादी पार्टी के पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) फॉर्मूले की तर्ज पर खड़ा किया गया है. इसमें शामिल लगभग सभी दल जातिगत आधार पर अपने-अपने समाज में प्रभाव रखते हैं. मौर्य की कोशिश साफ है कि वे भाजपा के उस ओबीसी और दलित वोट बैंक में सेंध लगाएं, जिसने पार्टी को लगातार चुनावी जीत दिलाई है. अगर मौर्य इसमें सफल होते हैं, तो इसका सीधा नुकसान भारतीय जनता पार्टी को होगा.
चुनाव में किसे होगा नुकसान?
भाजपा को इस गठबंधन से सबसे ज्यादा नुकसान हो सकता है, क्योंकि मौर्य का फोकस वही ओबीसी और दलित वोट बैंक है जो भाजपा की जीत की रीढ़ बना हुआ है. यदि यह वोट बैंक खिसकता है, तो भाजपा को सीटों का बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है. दूसरी ओर समाजवादी पार्टी के लिए भी यह गठबंधन एक दोधारी तलवार जैसा साबित हो सकता है, क्योंकि मौर्य उन्हीं मुद्दों और समाज को टारगेट कर रहे हैं जिन्हें सपा भी साधती रही है. यदि वोटों का बंटवारा हुआ तो नुकसान सपा को भी होगा, क्योंकि दोनों दल एक ही वोट बैंक पर दावेदारी कर रहे हैं.
स्वामी प्रसाद मौर्य का बीजेपी सरकार पर हमला
प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान स्वामी प्रसाद मौर्य ने प्रदेश की योगी सरकार पर तीखा हमला बोला. उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा चुकी है और गुंडाराज के कारण आम जनता त्राहि-त्राहि कर रही है. बेरोजगारी चरम पर है और महंगाई ने आम आदमी की कमर तोड़ दी है. उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार की नीतियों के चलते 80 करोड़ लोग 5 किलो राशन पर निर्भर हैं, और गरीबों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से वंचित किया जा रहा है. मौर्य ने यह भी कहा कि भाजपा सरकार आरक्षण को खत्म करने की साजिश रच रही है और अल्पसंख्यकों में भय का माहौल पैदा कर सामाजिक सौहार्द्र को नुकसान पहुंचा रही है.
क्या यह तीसरा मोर्चा बनेगा गेमचेंजर या रहेगा शगूफा?
स्वामी प्रसाद मौर्य का यह तीसरा मोर्चा आने वाले पंचायत और 2027 के विधानसभा चुनाव में कितना असर दिखा पाएगा, यह समय बताएगा. फिलहाल, जातीय समीकरण और सामाजिक मुद्दों के आधार पर बनाए गए इस गठबंधन में दम नजर आता है. अगर यह गठबंधन अपनी रणनीति पर टिका रहता है और जनता के बीच अपनी जगह बनाने में कामयाब होता है, तो यह उत्तर प्रदेश की सियासत की दिशा बदल सकता है. हालांकि, अगर यह केवल मंचीय बयानबाजी तक सीमित रहा, तो यह भी एक और शगूफा बनकर रह जाएगा.
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