UP Latest News: उत्तर प्रदेश सरकार अब राज्य के सभी मेडिकल कॉलेजों और प्रमुख चिकित्सा संस्थानों में इलाज की व्यवस्था को चुस्त-दुरुस्त करने जा रही है. कानपुर के हृदय रोग संस्थान और जेके कैंसर इंस्टीट्यूट को भी इस व्यवस्था के अंतर्गत लाया गया है. इन संस्थानों के प्राचार्य व निदेशक को निर्देश दिए गए हैं कि वे हर दिन स्वयं अस्पताल का राउंड लें और उस दौरान की तस्वीरें भेजें. किसी भी तरह की लापरवाही को बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. इसका सीधा असर स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता और मरीजों की संतुष्टि पर पड़ेगा.
सुरक्षा के लिए तैनात होंगे भूतपूर्व सैनिक, हॉस्टल और इमरजेंसी होंगी विशेष निगरानी में
कॉलेज परिसरों की सुरक्षा व्यवस्था को अब और मजबूत किया जाएगा. खासतौर पर गर्ल्स हॉस्टल, इमरजेंसी वार्ड और अन्य संवेदनशील क्षेत्रों में भूतपूर्व सैनिकों की तैनाती की जाएगी. इसके लिए सभी कॉलेज प्राचार्यों को सैनिक कल्याण निगम से संपर्क करने के निर्देश दिए गए हैं. यह कदम इसलिए उठाया गया है ताकि छात्राओं, स्टाफ और मरीजों की सुरक्षा से कोई समझौता न हो और हर व्यक्ति को सुरक्षित माहौल मिले.
सीसीटीवी निगरानी और जिम्मेदारी तय, हर कोने पर रहेगी नजर
अब मेडिकल कॉलेजों और उनके हॉस्टल परिसरों में CCTV कैमरों की संख्या और निगरानी को दोगुना मजबूत किया जाएगा. हर कैमरे की फीड का सीधा एक्सेस प्राचार्य, सीएमएस, वार्डन और सुरक्षा अधिकारी के मोबाइल फोन पर रहेगा. इससे किसी भी आपात स्थिति या लापरवाही पर तुरंत प्रतिक्रिया संभव होगी. सभी संस्थानों को यह सुनिश्चित करना होगा कि कैमरे हर समय क्रियाशील रहें और तकनीकी खराबी होने पर तत्काल मरम्मत हो.
साफ-सफाई, भोजन, लांड्री में कमी पर कार्रवाई, एजेंसियों का भुगतान भी कटेगा
अस्पतालों और हॉस्टलों की सफाई व्यवस्था में कोई भी कोताही अब माफ नहीं की जाएगी. भोजन, कपड़े की धुलाई (लांड्री) और अन्य मूलभूत सुविधाओं में अगर गुणवत्ता कम पाई गई तो संबंधित सेवा प्रदाता एजेंसियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. साथ ही उनके भुगतान में कटौती भी की जाएगी. मरीजों और छात्रों को साफ-सुथरा और सुरक्षित माहौल देना सरकार की प्राथमिकता है.
इमरजेंसी में मिले तुंरत इलाज, 24 घंटे जांच सुविधाएं रहें चालू
डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने निर्देश दिए हैं कि ट्रॉमा सेंटरों और इमरजेंसी वार्डों में डॉक्टर, नर्सिंग स्टाफ और पैरामेडिकल कर्मचारियों की पर्याप्त उपलब्धता होनी चाहिए. मरीजों को भर्ती, इलाज और जांच में किसी तरह की देरी न हो. पैथोलॉजी और रेडियोलॉजी सुविधाएं 24 घंटे उपलब्ध रहनी चाहिए. साथ ही, एएलएस एंबुलेंस के संचालन को लेकर सीएमओ को निर्देश दिए गए हैं कि वे समन्वय स्थापित कर मरीजों को कम समय में एंबुलेंस सेवा उपलब्ध कराएं.
आईसीयू और ऑक्सीजन की पुख्ता व्यवस्था, गंभीर मरीजों को मिलेगा जीवनदान
आईसीयू का संचालन सुचारू रूप से किया जाए और ऑक्सीजन की सप्लाई हर समय बनी रहे, यह सुनिश्चित करना अनिवार्य होगा. इससे गंभीर मरीजों की जान बचाने में मदद मिलेगी. साथ ही हॉस्टल और मरीजों को मिलने वाले भोजन की गुणवत्ता की समय-समय पर जांच कराना भी अनिवार्य होगा. इसके लिए खाद्य सुरक्षा और औषधि प्रशासन विभाग से लगातार संपर्क बनाए रखने के निर्देश दिए गए हैं. संस्थानों में उपलब्ध सभी चिकित्सा उपकरणों को चालू हालत में रखा जाएगा.
पीजी सीटें बढ़ेंगी, फैकल्टी की जल्द होगी भर्ती
डिप्टी सीएम ने कहा कि राज्य के मेडिकल कॉलेजों में पोस्ट ग्रेजुएट (PG) सीटों की संख्या में इजाफा किया जाए ताकि अधिक संख्या में विशेषज्ञ डॉक्टर तैयार किए जा सकें. इसके लिए नेशनल मेडिकल काउंसिल (NMC) के सभी मानकों को पूरा करने के निर्देश दिए गए हैं. साथ ही, फैकल्टी के खाली पदों को भरने के लिए तुरंत विज्ञापन निकालकर नियमित भर्ती शुरू की जाए. संविदा पर शिक्षक नियुक्त करने के लिए समय-समय पर साक्षात्कार आयोजित किए जाएं ताकि शिक्षण व्यवस्था प्रभावित न हो.
आयुष्मान बजट से मरीजों को मिलेगी राहत, चादर, तकिया और साफ पानी की व्यवस्था जरूरी
डिप्टी सीएम ने बताया कि कॉलेजों के पास आयुष्मान भारत योजना का पर्याप्त बजट मौजूद है. इसका उपयोग मरीजों की सुविधाएं बेहतर बनाने में किया जाए. मरीजों को हर दिन साफ चादरें, तकिया और पीने का साफ पानी दिया जाए. यह भी सुनिश्चित किया जाए कि वार्डों में स्वच्छता बनी रहे और मरीजों को बुनियादी सुविधाओं के लिए परेशान न होना पड़े.
राउंड न लेने पर उप-प्राचार्य या सीएमएस लेंगे जिम्मेदारी, सफाई और सुरक्षा अधिकारी रहेंगे साथ
यदि किसी दिन प्राचार्य या निदेशक राउंड नहीं ले पाते हैं तो उनकी जगह उप-प्राचार्य या सीएमएस राउंड लेंगे. राउंड के समय सफाई सुपरवाइज़र और सुरक्षा अधिकारी भी उनके साथ रहेंगे ताकि जिस भी विभाग में कमी या समस्या हो, उसका तुरंत मौके पर समाधान हो सके. यह व्यवस्था अस्पताल प्रबंधन की पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए लागू की जा रही है.
यह संपूर्ण आदेश चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा ने डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक के निर्देशों पर जारी किए हैं. इसका उद्देश्य प्रदेश की चिकित्सा सेवाओं में सुधार लाना और मरीजों को गुणवत्तापूर्ण उपचार सुनिश्चित करना है.
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