UP News: बलरामपुर जिले के रेहरामाफी गांव का रहने वाला जमालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा पहले गली-गली घूमकर नग वाली अंगूठियां बेचता था. 2015 में पंचायत चुनाव लड़कर गांव का प्रधान बना और यहीं से उसकी महत्वाकांक्षाएं बढ़ने लगीं. धीरे-धीरे उसने लोगों को प्रभावित करने के लिए धार्मिक चोला ओढ़ा और धर्म परिवर्तन के खेल में उतर गया. अपने बेटे महबूब को सियासत में स्थापित करने के लिए उसने धर्मांतरण को आय का स्रोत बना लिया और कथित रूप से लाखों का खर्च कर पंचायत चुनाव भी लड़वाया.
धर्मांतरण के नाम पर करोड़ों की कमाई, ईडी और एनआईए की नजर में आया मामला
यूपी एटीएस की जांच में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए कि छांगुर बाबा ने धर्मांतरण के जरिये 100 करोड़ रुपये से ज्यादा जुटाए. ये रकम किन-किन रास्तों से आई और कहां-कहां भेजी गई, इसका पता लगाने के लिए एटीएस ने ईडी को विस्तृत रिपोर्ट सौंप दी है. अब प्रवर्तन निदेशालय (ED) प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत केस दर्ज कर मनी ट्रेल खंगालेगा. साथ ही एनआईए भी रिमांड के दौरान पूछताछ करेगी क्योंकि इसमें अंतरराष्ट्रीय फंडिंग और टेरर लिंक की भी आशंका जताई गई है.
पहले चलता था बाइक, अब लग्जरी वाहनों का शौकीन
प्रधान बनने के पहले तक छांगुर बाबा एक मामूली बाइक पर चलता था. लेकिन जब नवीन रोहरा और नीतू जैसे प्रभावशाली लोग उससे जुड़ गए, तब से उसका रहन-सहन बदल गया. वह लग्जरी गाड़ियों में घूमने लगा. सूत्रों के अनुसार, वह अपने लिए वाहन काफिला खड़ा कर रहा था. उतरौला के मधपुर में आलीशान कोठी बनवाने के बाद उसने रेहरामाफी गांव के पुराने घर को जेसीबी से गिरवाया और वहां भी नया मकान बनवाने की तैयारी कर रहा था. मकान का पूरा खर्च नवीन और नीतू ही उठा रहे थे.
सियासत में पांव जमाने की जुगत में था छांगुर बाबा
धर्मांतरण का नेटवर्क खड़ा करने के पीछे उसका मुख्य उद्देश्य पैसा और प्रभाव दोनों पाना था, ताकि वह बेटे महबूब को स्थानीय राजनीति में स्थापित कर सके. पहले खुद प्रधान बना, फिर बेटे को प्रधान बनवाने के लिए भारी खर्च किया, हालांकि जीत नहीं मिली. वह धीरे-धीरे इलाके में मुस्लिम प्रभाव बढ़ाकर पंचायत स्तर से आगे बढ़ने का सपना देख रहा था. अपने आपको “बाबा” घोषित कर उसने धर्म और राजनीति दोनों को साधने की कोशिश की.
कीपैड वाला मोबाइल रखता था छांगुर बाबा
हालांकि छांगुर बाबा खुद तकनीक से दूर नजर आता था और साधारण कीपैड मोबाइल का इस्तेमाल करता था, लेकिन उसका नेटवर्क बेहद हाईटेक था. उसके पास लग्जरी गाड़ियों से चलने का इंतजाम था, जिसे नवीन संभालता और नीतू उसका हर वक्त साथ देती. तकनीकी कार्यों, बैंकिंग और दूसरे संपर्कों की जिम्मेदारी भी यही दो लोग निभा रहे थे. बाबा खुद को जमीन से जुड़ा दिखाकर लोगों का विश्वास जीतने में सफल हो जाता था.
छांगुर बाबा गैंग के सदस्य 40 बार इस्लामिक देशों की यात्रा पर गए
एटीएस के अनुसार, छांगुर बाबा के गिरोह ने इस्लामिक देशों से संपर्क बनाने के लिए पिछले कुछ वर्षों में 40 से अधिक बार अंतरराष्ट्रीय यात्राएं कीं. गिरोह ने खुद और अलग-अलग फर्जी संस्थाओं के नाम पर 40 से ज्यादा बैंक खाते खुलवाए थे, जिनसे करोड़ों रुपये की लेन-देन हुई. यह पैसा कई संदिग्ध खातों में गया, जिनका संचालन अन्य राज्यों और विदेशों से किया जा रहा था. इसकी जांच अब ईडी और एनआईए दोनों कर रही हैं ताकि अंतरराष्ट्रीय लिंक का पूरा खुलासा हो सके.
धर्म परिवर्तन कराकर इस्लामिक संगठनों में पैठ बना रहा था छांगुर बाबा
छांगुर बाबा उतरौला तहसील के जरिए नेपाल बॉर्डर तक अपने नेटवर्क को फैला रहा था. उसका मकसद था धर्म परिवर्तन के जरिए इस्लामिक संगठनों में पकड़ मजबूत करना. नागपुर के इदुल इस्लाम जैसे लोगों से उसका सीधा संपर्क था, जो धर्म बदलवाने के काम में उसकी मदद करते थे. वह खुद को सूफी प्रचारक और पीर के रूप में स्थापित करने की योजना बना चुका था. कस्बे की एक मशहूर मजार पर कब्जा करने की भी उसकी मंशा थी, जिसके लिए वह मुस्लिम धर्मगुरुओं को अपने पक्ष में लाने की कोशिश कर रहा था.
अधिकारियों को भी अंगूठी देकर बताता था लाभ
धर्म परिवर्तन के खेल में लोगों को लुभाने के लिए छांगुर बाबा एक खास तरीका अपनाता था. वह नग वाली अंगूठियां भेंट करता और कहता कि इससे तरक्की मिलेगी, नौकरी लगेगी या कारोबार बढ़ेगा. एक अधिकारी ने बताया कि उसे भी छांगुर ने अंगूठी दी थी और लाभ मिलने का दावा किया था, लेकिन उसने तुरंत समझ लिया कि यह सब दिखावा है. वह साधारण धोती-कुर्ता और पान खाते हुए खुद को जमीन से जुड़ा दिखाकर लोगों का विश्वास जीत लेता था.
संपत्ति बढ़ने और धर्मांतरण के चलते कार्रवाई की जद में आया छांगुर
छांगुर बाबा ने एक साल में ही करोड़ों की संपत्ति बना ली, जिसमें प्रॉपर्टी, वाहन, मकान और धार्मिक केंद्र शामिल हैं. एटीएस को जब धर्मांतरण से जुड़ी शिकायतें मिलीं तो सितंबर 2024 में उसके खिलाफ केस दर्ज किया गया. जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ी, उसके बेटे और सहयोगियों की गिरफ्तारी हुई और आखिरकार 5 जुलाई 2025 को एटीएस ने छांगुर बाबा और नीतू को गिरफ्तार कर लिया. अब यह केस केंद्रीय एजेंसियों की निगरानी में है.
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