UP NEWS: गाजियाबाद, 25 मई 2025 शनिवार को गाजियाबाद में आई तेज आंधी और बारिश ने एक बड़ा हादसा खड़ा कर दिया. अंकुर विहार क्षेत्र स्थित सहायक पुलिस आयुक्त (ACP) कार्यालय की छत गिरने से सब-इंस्पेक्टर वीरेंद कुमार मिश्रा (उम्र 58 वर्ष) की मौके पर ही मौत हो गई. हादसा इतना भीषण था कि वे मलबे में दबकर अपनी जान गंवा बैठे.
तेज आंधी-तूफान से गिरा ACP ऑफिस का छत
शनिवार शाम तेज हवाओं और अचानक शुरू हुई बारिश ने शहर को अस्त-व्यस्त कर दिया. इसी दौरान ACP अंकुर विहार कार्यालय, जोकि पहले से ही जर्जर स्थिति में था, उसकी छत भरभराकर गिर पड़ी. इसी दफ्तर में ड्यूटी पर तैनात सब-इंस्पेक्टर वीरेंद कुमार मिश्रा उस समय अंदर मौजूद थे.
मलबे में दबकर हुई मौत
घटना के समय वीरेंद कुमार मिश्रा कार्यालय में रूटीन फाइल वर्क कर रहे थे. अचानक हुई छत गिरने की घटना से वे पूरी तरह मलबे के नीचे दब गए. रेस्क्यू टीम और पुलिसकर्मियों ने तुरंत बचाव कार्य शुरू किया, लेकिन उन्हें गंभीर हालत में बाहर निकाला गया और अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया.
पुलिस विभाग में गहरा शोक
इस हृदयविदारक हादसे के बाद पूरे पुलिस महकमे में शोक की लहर दौड़ गई. वरिष्ठ अधिकारियों ने घटनास्थल का निरीक्षण किया और जांच के आदेश दिए. गाजियाबाद के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (SSP) ने घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताया और आवश्यक सहायता उपलब्ध कराने की बात कही.
पुरानी इमारत बन गई मौत का कारण
स्थानीय अधिकारियों और पुलिसकर्मियों ने बताया कि ACP अंकुर विहार कार्यालय की इमारत लंबे समय से मरम्मत की मांग कर रही थी. कई बार इसकी जर्जर हालत को लेकर प्रशासन को अवगत कराया गया था, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया.
प्रशासन पर लापरवाही के आरोप
हादसे के बाद प्रशासन की लापरवाही को लेकर सवाल उठने लगे हैं. कर्मचारियों और स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि समय रहते भवन की मरम्मत होती या दफ्तर को स्थानांतरित किया जाता, तो यह दर्दनाक हादसा रोका जा सकता था.
राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई की तैयारी
पुलिस विभाग की ओर से सब-इंस्पेक्टर वीरेंद कुमार मिश्रा को राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई देने की तैयारी की जा रही है. विभाग ने संवेदना व्यक्त करते हुए घटना की गंभीरता से जांच कराने की बात कही है. गाजियाबाद में हुआ यह हादसा न केवल एक कर्तव्यनिष्ठ पुलिस अधिकारी की जान लेकर गया, बल्कि सरकारी भवनों की अनदेखी और लापरवाही पर भी गंभीर सवाल खड़े कर गया है. यह समय है कि प्रशासन चेत जाए और ऐसे जर्जर भवनों की तुरंत जांच व मरम्मत कराए, ताकि आगे ऐसे हादसे दोहराए न जाएं.