Google Search: आज के डिजिटल दौर में गूगल जानकारी हासिल करने का एक जरूरी साधन बन गया है. साधारण सवालों से लेकर जटिल विषयों पर रिसर्च करने तक, यह सर्च इंजन लगभग हर तरह की जानकारी के लिए एक वन-स्टॉप सॉल्यूशन है. हालांकि, जितनी यह सुविधा देता है, उतनी ही सावधानी की भी जरूरत होती है. गूगल पर कुछ चीजों को सर्च करना न केवल जोखिम भरा हो सकता है, बल्कि इसके गंभीर कानूनी परिणाम भी भुगतने पड़ सकते हैं. दुनियाभर में सरकारें और एजेंसियां ऑनलाइन गतिविधियों पर नजर रखती हैं ताकि कानूनों का पालन सुनिश्चित किया जा सके और सार्वजनिक सुरक्षा बनी रहे.
अधिकांश लोग गूगल का इस्तेमाल सही और वैध उद्देश्यों के लिए करते हैं, लेकिन कुछ ऐसी खोजें भी होती हैं जो आपको कानूनी पचड़ों में फंसा सकती हैं. कुछ मामलों में, यह जांच-पड़ताल, जुर्माने या यहां तक कि जेल तक का कारण भी बन सकती हैं. तो आइये जानते हैं वो कौन सी 4 चीजे हैं जिनको आप भूल कर भी गूगल पर सर्च न करें वरना इसके काफी दुष्परिणाम हो सकते है.
इन 4 चीजों को कभी Google पर न करें सर्च
“बम कैसे बनाएं”
अधिकांश देशों में बम बनाने से जुड़ी जानकारी सर्च करना एक गंभीर अपराध माना जाता है. कानून प्रवर्तन एजेंसियां और राष्ट्रीय सुरक्षा संगठन ऐसे ऑनलाइन गतिविधियों पर कड़ी नजर रखते हैं, जो हथियारों, विस्फोटकों या संभावित आतंकी गतिविधियों से संबंधित हो सकती हैं. अगर कोई व्यक्ति “बम कैसे बनाएं” जैसी खोज करता है, तो उसे तुरंत निगरानी सूची में डाल दिया जाता है और जांच का सामना करना पड़ सकता है. सरकारों ने कड़े आतंकवाद विरोधी कानून लागू किए हैं, जिसके तहत इस तरह की सर्च सिर्फ जिज्ञासा के आधार पर भी संदेह के दायरे में आ सकती है. इसका परिणाम गिरफ्तारी, पूछताछ और यहां तक कि जेल की सजा के रूप में भी सामने आ सकता है.
“हैकिंग ट्यूटोरियल और सॉफ्टवेयर”
हैकिंग से जुड़ी सामग्री, जैसे ट्यूटोरियल, सॉफ्टवेयर या तरीके खोजने जैसी गतिविधियां कानूनी जांच के दायरे में आ सकती हैं. अनधिकृत हैकिंग विभिन्न साइबर सुरक्षा कानूनों, जैसे कि भारत में सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) अधिनियम और अमेरिका में कंप्यूटर फ्रॉड एंड एब्यूज एक्ट (CFAA) का उल्लंघन करती है। हालांकि, एथिकल हैकिंग एक मान्यता प्राप्त पेशा है, जिसके लिए उचित प्रमाणपत्र और अनुमति आवश्यक होती है, लेकिन किसी डेटा सिस्टम में सेंध लगाने या जानकारी चुराने जैसी अवैध हैकिंग एक गंभीर अपराध है. सुरक्षा एजेंसियां ऑनलाइन प्लेटफॉर्म की कड़ी निगरानी करती हैं ताकि हैकिंग को बढ़ावा देने या दुर्भावनापूर्ण सॉफ्टवेयर के उपयोग से जुड़ी गतिविधियों का पता लगाया जा सके.
“पायरेटेड फिल्में”
पायरेटेड फिल्मों को डाउनलोड या स्ट्रीम करना कई लोगों को सामान्य लग सकता है, लेकिन यह कॉपीराइट कानूनों का सीधा उल्लंघन है. गूगल पर पायरेटेड सामग्री की खोज करना, चाहे अनजाने में ही क्यों न हो, अवैध पाइरेसी नेटवर्क को बढ़ावा देता है और एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री को नुकसान पहुंचाता है. दुनियाभर में कई सरकारों ने पाइरेसी के खिलाफ सख्त कानून बनाए हैं, जिनके तहत दोषियों पर हजारों से लेकर करोड़ों रुपये तक का जुर्माना और जेल की सजा हो सकती है. भारत में, पाइरेसी से जुड़े अपराधों में दोषी पाए जाने पर तीन साल तक की जेल और 10 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है. ऐसे में हमेशा कानूनी प्लेटफॉर्म से ही फिल्में और अन्य कंटेंट एक्सेस करना सही रहेगा, ताकि अवैध गतिविधियों को बढ़ावा न मिले.
“Child Pornography” (बाल यौन शोषण)
बाल यौन शोषण से जुड़ी सामग्री को वैश्विक स्तर पर घोर अपराध माना जाता है और यह पूरी तरह अवैध है. ऐसे किसी भी कंटेंट को खोजने या एक्सेस करने पर कड़ी कानूनी कार्रवाई हो सकती है। भारत में पॉक्सो (POCSO) एक्ट सहित अंतरराष्ट्रीय कानूनों के तहत इस अपराध के लिए भारी जुर्माने से लेकर लंबी सजा तक का प्रावधान है. सरकारें और साइबर सुरक्षा एजेंसियां ऐसी वेबसाइटों को ट्रैक कर उन्हें ब्लॉक करने के लिए मिलकर काम करती हैं. साथ ही, वे ऑनलाइन गतिविधियों की निगरानी करती हैं ताकि इस अपराध में संलिप्त लोगों की पहचान की जा सके. यहां तक कि अनजाने में भी ऐसे किसी कंटेंट तक पहुंचना कानूनी मुसीबत में डाल सकता है, इसलिए ब्राउज़िंग के दौरान सतर्कता बेहद जरूरी है.
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