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Zero MDR पॉलिसी के कारण निवेश में हो रही कमी
दरअसल, बैंक और पेमेंट सर्विस प्रोवाइडर का कहना है कि बड़े-बड़े डिजिटल ट्रांजैक्शन की लागत में बढ़ोत्तरी हो रही है. साल 2020 से लेकर अब तक UPI के पर्सन-टू-मर्चेंट (PTM) का साइज बढ़कर 60 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है. लगभग 80% रिटेल डिजिटल ट्रांजैक्शन UPI से होते हैं. लेकिन Zero MDR पॉलिसी के कारण निवेश में कमी देखी जा रही है. ऐसे में सरकार UPI पर MDR लागू कर सकती है. इस पर एक या दो महीने के अंदर फैसला लिया जा सकता है. सरकार, बैंक से लेकर नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया और फिनटेक कंपनियों से सलाह लेगी. उसके बाद ही इस पर फैसला लेगी.
क्या होगा बदलाव?
अगर सरकार UPI ट्रांजैक्शन पर MDR लागू करती है तो 3000 रुपये से कम के ट्रांजैक्शन पर किसी तरह का MDR फीस नहीं लगेगा. लेकिन 3000 रुपये से ज्यादा के ट्रांजैक्शन पर MDR फीस लगाई जा सकती है. यानी कि यह फीस आपके ट्रांजैक्शन के आधार पर लगाई जाएगी कि आपने कितने रुपये का लेनदेन किया है. उसके हिसाब से MDR फीस वसूला जाएगा. वहीं, पेमेंट्स काउंसिल ऑफ इंडिया (PCI) की तरफ से UPI ट्रांजैक्शन पर बड़े मर्चेंट के लिए 0.3% MDR का सुझाव दिया गया है.
RuPay को छोड़कर डेबिट-क्रेडिट कार्ड पेमेंट पर MDR 0.9% से 2% तक है. RuPay कार्ड को अभी MDR से छूट दी गई है.
क्या होता है MDR
MDR वह चार्ज है, जो मर्चेंट (व्यापारी) डिजिटल पेमेंट को एकसेप्ट करने के लिए बैंक या पेमेंट सर्विस प्रोवाइडर को देते हैं. फिलहाल UPI और RuPay कार्ड पर ‘जीरो-एमडीआर’ पॉलिसी (Zero MDR Policy) लागू है.
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