जानिए सबसे पहले किसने बनवाया था राम मंदिर? इस राजा ने की थी अयोध्या की खोज

अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की तैयारियां जारी है. लेकिन क्या आपको पता है कैसे मिली रामलला की जन्मभूमि? किसने की अयोध्या की खोज. आइए जानते हैं सबकुछ विस्तार से.

By Shweta Pandey | January 11, 2024 1:07 PM
an image

Ayodhya Ram Mandir Story In Hindi: अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की तैयारियां जोर-शोर पर हैं. बस कुछ ही दिन बाद श्रीराम जन्मभूमि पर बनकर तैयार मंदिर में भक्त रामलला के दर्शन कर सकेंगे. लेकिन क्या आपको पता है कैसे मिली रामलला की जन्मभूमि? किसने की अयोध्या की खोज. आइए जानते हैं सबकुछ विस्तार से.

अयोध्या की खोज किसने की हम आपको इस आर्टिकल में बताने जा रहे हैं. दरअसल प्राचीन काल में उज्जैन के राजा विक्रमादित्य का शासन काफी दूर तक फैला था. बताया जाता है कि एक बार राजा विक्रमादित्य अपनी सेना के साथ अयोध्या क्षेत्र से गुजर रहे थे. इस दौरान उन्हें इस भूमि पर एक अलग सा सकारात्मक ऊर्जा का आभास होता है. वह अपने सेनाओं के साथ प्रयागराज पहुंचे जहां उनसे ब्राह्मण रूपधारी मिले और कहां कि आप जहां से होकर आ रहे हैं वह स्थान भगवान श्रीराम की जन्म स्थली अयोध्या है.

आप ही इस स्थल का पुनरुद्धार कर सकते हैं. इसके बाद ब्राह्मण ने राजा विक्रमादित्य को अयोध्या के बारे में विस्तार से बताया. लेकिन जब राजा विक्रमादित्य अयोध्या पहुंचे तो वह प्रयागराज तीर्थ की बताई उन सभी बातों को भूल गए. फिर क्या था अचानक से राजा की मुलाकात वहां एक अन्य संन्यासी से हुई. जहां उस संन्यासी ने विक्रमादित्य से कहा कि राजन आप एक यहां सफेद गाय को बुलवाएं और जिस जगह पर गाय के थन से स्वत: ही दूध गिरने लगे बस आप समझ लीजिएगा कि वहीं स्थान भगवान श्रीराम का जन्म स्थल है. विक्रमादित्य ने ऐसा ही किया.

उन्होंने गाय को बुलाया और गाय के थनों से दूध गिरने लगा. उस स्थान पर भगवान श्रीराम का विशाल मंदिर बनवाया. इसी के साथ उज्जैन के राजा विक्रमादित्य ने ही अयोध्या की खोज की और उन्होंने यहां पर श्रीराम मंदिर का निर्माण किया. जिसके बारे में बताया जाता है कि उस मंदिर का स्वर्ण शिखर इतना विशाल था कि करीब 80 किलोमीटर दूर से उसे देखा जा सकता था. इसका जिक्र रूद्रायमल ग्रंथ में भी मिलता है.

बताया जाता है कि राजा विक्रमादित्य द्वारा अयोध्या में बनवाया गया रामलला के मंदिर को 1528 में बाबर के सेनापति मीर बाकी ने ढहाया था.

अयोध्या के विकास में राजा विक्रमादित्य के बाद, गुप्तकाल के राजाओं और गहड़वाल राजाओं का भी सबसे बड़ा योगदान रहा है. इसका जिक्र विदेशी लेखक हंस बेकर की किताब भी हुई है. लेखक हंस बेकर ने अपने किताब में श्री रामजन्मभूमि, अयोध्या और राजा विक्रमादित्य के बारे में लिखा है. जिसमें बताया गया है कि कैसे और कितनी दूरी पर यह धार्मिक स्थल मौजूद है.

बताते चलें कि अयोध्या रामजन्मभूमि की खोज में मुक्ति गली का अहम रोल है. . राजा राम की अयोध्या को राजा विक्रमादित्य ने ही खोजा. लेकिन बाद में बाबर के सेनापति मीर बाकी ने मंदिर को तोड़वाकर मस्जिद का निर्माण करवाया. जिसके बाद से यहां पर मुगल सेना नमाज अदा करने लगी. फिर राजस्थान के राजा ने मस्जिद के बगल में राम चबुतरा का निर्माण करवाया. जिसके बाद यहां हिंदू राम चबुतरे पर पूजा करते थे और मुस्लमान मस्जिद में नमाज पढ़ते थे.

इसके बाद मुगल शासन खत्म हुआ और ब्रिटिश सम्राज्य का उदय हुआ. फिर हिंदू पक्ष ने अपने मंदिर का होने का दावा किया. इसके बाद अंग्रेजों ने इस मस्जिद का एएसआई जांच करवाया. जिसमें वहां मंदिर का होने का निशान मिला था. जांच में एएसआई टीम को मस्जिद के पाया में फूल और मंदिर के अंश मिले थे. जिसके बाद यह मामला कोर्ट में गया. जहां 2019 में सुप्रीम कोर्ट से आदेश के बाद इस मंदिर का निर्माण किया गया.

संबंधित खबर
संबंधित खबर और खबरें
होम E-Paper News Snaps News reels
Exit mobile version