क्षेत्रों में जनसंपर्क के साथ ही कार्यकर्ताओं और पार्टी कार्यालय को संभालना उनके रोजाना की रूटिंग बन गई थी. इससे पूर्व टिकट के लिए भाग-दौड़, फिर बागियों व नाराज नेताओं की नाराजगी और प्रदर्शन के बाद चुनाव जीतने की चिंता में उम्मीदवार खाना-पीना तक भूल गए थे. प्रचार-प्रसार से लेकर जनसंपर्क और रोड शो तक की भाग-दौड़ भी ऐसी कि उनको न दिन में चैन मिलता था और नहीं रात को सुकून से सो पाते थे. सुबह उठते ही घर के सामने कार्यकर्ताओं की भीड़ फिर उनको भी समय देना. इन दो महीनों में अलीपुरदुआर जिले के उम्मीदवारों ने चैन से सांस तक नहीं ले सके है.
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इधर शनिवार को मतदान प्रक्रिया समाप्त होने के बाद रविवार को उम्मीदवारों ने अपने आप को रिलेक्स महसूस किया. चुनाव के दूसरे दिन सुबह प्रत्याशियों की आंखें भी काफी देर से खुली है. जिसके बाद उनमें चुनावी संख्या को लेकर चर्चाएं शुरू भी हुई है. रविवार को प्रत्याशियों ने अपने-अपने कार्यकर्ताओं को फोन कर सभी प्रमुख दलों के प्रत्याशियों ने प्रोग्रेस रिपोर्ट की जानकारी ली तो किसी ने अपने परिवार के साथ थोड़ा समय व्यतीत किया. इस दिन खासकर उम्मीदवारों ने अपने-अपने अंदाज में दिन की शुरुआत की.
इधर, अन्य कई उम्मीदवार ऐसे भी थे जो दिन में एक बार भी नजर नही आए. रविवार कुछ इसी प्रकार का नजारा अलीपुरदुआर जिले के सभी विधानसभा केंद्रों में देखने को मिली है. ना शोरो शराबा और ना ही किसी प्रकार का हलचल दिनभर पूरा इलाका सुनसान पड़ा रहा. यहां तक कि कई पार्टी कार्यालय भी बंद नजर आए और कुछ कार्यालय में एक आध कर्मी समर्थक बैठे हुए थे.
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Posted By: Aditi Singh