Bihar News: रोहतास और कैमूर के एक कुख्यात नक्सली ने गुरुवार को एसपी दिलनवाज अहमद के समक्ष भारी मात्रा में हथियारों और नक्सली वर्दी सहित अन्य सामान के साथ सरेंडर कर दिया. पिता की मौत का बदला लेने के उद्देश्य से उसने पिता की हत्या करनेवाले व्यक्ति को गोली मारने के बाद वह अपराध की दुनिया में शामिल हो गया था. इधर बीच उसे रोहतास और कैमूर में सक्रिय नक्सली दस्ते का एरिया कमांडर बनाया गया था.
सरेंडर करने वाला नक्सली रोहतास जिले के नौहट्टा थानाक्षेत्र के बुधुवा निवासी स्व शिव प्रसाद यादव का बेटा वीरेंद्र उर्फ भोरिक उर्फ संतोष यादव है. वर्तमान में वह नंदू सियरा चेनारी में रह कर नक्सली दस्ते को संचालित कर रहा था. गुरुवार को एसपी कार्यालय में सरेंडर करने के दौरान उसने सात बंदूक, पांच नक्सली वर्दी, छह कारतूस सहित अन्य सामान पुलिस को सौंपा है. एसपी दिलनवाज अहमद ने पत्रकारों को बताया कि इधर बीच लगातार सूचना प्राप्त हो रही थी कि भोरिक यादव उर्फ वीरेंद्र यादव अपने नक्सली गिरोह के साथ सक्रिय है.
इस पर अधौरा थानाक्षेत्र में छुप कर रहते हुए कई ठेकेदारों व लोगों से नक्सली संगठन के नाम पर लेवी और रंगदारी वसूलने की भी सूचना मिली थी. पुलिस की लगातार दबाव और छापेमारी से उक्त नक्सली ने गुरुवार को हथियारों, नक्सली वर्दी सहित अन्य नक्सली समान के साथ आत्मसमर्पण कर दिया. एसपी ने बताया कि यह नक्सली पूर्व में एमसीसी और टीपीसी संगठन के साथ कैमूर व रोहतास क्षेत्रों में सक्रिय रहा था.
ऐसे हुआ दस्ते में शामिल
वर्ष 2008-09 में सरेंडर किये नक्सली के पिता शिवप्रसाद यादव की नंदू सियरा के रहनेवाले एक व्यक्ति द्वारा गोली मार कर हत्या कर दी गयी थी. एसपी के समक्ष आत्मसमर्पण किये नक्सली ने बताया कि पिता के हत्यारे से बदला लेने के बाद वह जेल चला गया था. हालांकि, जिस व्यक्ति को उसने गोली मारी थी, वह बच गया था. लेकिन, इस मामले में उसे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था.
रोहतास जेल में ही उसकी मुलाकात रोहतास डीएफओ संजय सिंह हत्याकांड के मुख्य आरोपित निराला यादव से हुई. उसके संपर्क में आने के बाद निराला द्वारा उसे बहकाया गया कि अगर वह जेल से बाहर निकलेगा, तो उसकी भी हत्या हो जायेगी. इसलिए वह नक्सली दस्ते में शामिल हो जाये, जिससे उसका कोई बाल भी बांका नहीं कर सके. कुख्यात नक्सली निराला यादव के कहने और समझाने के बाद वह जेल से छूटने के बाद नक्सली संगठन में शामिल हो गया था और दस्ते में रहते हुए वह अपराध के दलदल में धंसता चला गया.
Posted By: Utpal kant