Mobile Phone Components Import Duty Slashed : भारत सरकार ने बजट (Interim Budget 2024) पेश होने के एक दिन पहले मोबाइल फोन के स्पेयर पार्ट्स पर इम्पोर्ट ड्यूटी 15 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत कर दी है. सरकार के इस कदम से मोबाइल फोन सस्ते हो सकते हैं.
वित्त मंत्रालय की ओर से जारी अधिसूचना के अनुसार, मेन कैमरा लेंस, बैटरी कवर, बैक कवर, जीएसएम एंटेना, प्लास्टिक और मेटल के अन्य मेकैनिकल आइटम और अन्य हिस्सों पर आयात शुल्क घटाकर 10 प्रतिशत कर दिया गया है.
भारत सरकार ने मोबाइल फोन विनिर्माण में इस्तेमाल होने वाले कलपुर्जों पर आयात शुल्क 15 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत कर दिया है. इस कदम का मकसद स्थानीय उत्पादन और निर्यात को बढ़ावा देना है.
Government of India slashes import duty on key components used in the production of mobile phones. The import duty has been reduced from 15 per cent to 10 per cent. pic.twitter.com/22CIz9Qoch
— ANI (@ANI) January 31, 2024
वित्त मंत्रालय ने सेल्युलर मोबाइल फोन के लिए स्क्रू, सिम सॉकेट या धातु की अन्य यांत्रिक वस्तुओं सहित कलपुर्जों के आयात पर शुल्क में कटौती संबंधी अधिसूचना 30 जनवरी को जारी की.
इंडियन सेल्युलर एंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन (आईसीईए) के चेयरमैन पंकज महेंद्रू ने कहा कि यह भारत में मोबाइल विनिर्माण को प्रतिस्पर्धी बनाने की दिशा में सरकार का एक महत्वपूर्ण नीतिगत हस्तक्षेप है.
महेंद्रू ने कहा, इलेक्ट्रॉनिक 2024 में भारत का 5वां सबसे बड़ा निर्यात क्षेत्र बन गया है, जो कुछ साल पहले 9वें स्थान पर था. उन्होंने कहा, उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना की बदौलत इलेक्ट्रॉनिक निर्यात में 52 प्रतिशत से अधिक मोबाइल का योगदान है. यह पिछले आठ वर्षों के भीतर आयात से निर्यात आधारित विकास में योगदान देने वाला पहला उद्योग है.
ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनीशिएटिव की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में बिकने वाले 98 प्रतिशत स्मार्टफोन देश में ही बनते हैं. ऐसे में मोबाइल फोन मैन्युफैक्चरिंग में इस्तेमाल होनेवाले पार्ट्स पर इम्पोर्ट ड्यूटी कम होने का फायदा मोबाइल फोन सेक्टर को मिलेगा. इससे भारत में मोबाइल फोन की कीमतें भी कम होने की संभावना है.
इंडिया सेल्युलर एंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन के अनुसार, मोबाइल फोन के जरूरी कम्पोनेंट्स, जैसे- कैमरा मॉड्यूल्स और चार्जर पर 2.5% से 20% तक इम्पोर्ट ड्यूटी लगायी जाती है. यह शुल्क चीन और वियतनाम जैसे देशों से कहीं अधिक है, जो मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग के लिए जाने जाते हैं. जानकारों का मानना है कि जब तक ये ड्यूटीज घटायी नहीं जातीं, भारत में मोबाइल निर्यात की रफ्तार धीमी रह सकती है. (भाषा इनपुट के साथ)
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