Chhattisgarh: विधानसभा उपाध्यक्ष मनोज सिंह मंडावी का हार्ट अटैक से निधन, CM बघेल ने किया शोक व्यक्त

नोज सिंह मंडावी तीन बार विधायक रहे और बस्तर क्षेत्र में पार्टी का अहम आदिवासी चेहरा माने जाते थे. वहीं, मंडावी 2000 से 2003 के बीच राज्य में अजीत जोगी की अगुवाई वाली कांग्रेस सरकार के दौरान गृह एवं कारागार मंत्री थे.

By Piyush Pandey | October 16, 2022 10:41 AM
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छत्तीसगढ़ विधानसभा के उपाध्यक्ष और सत्तारूढ़ कांग्रेस के विधायक मनोज सिंह मंडावी का दिल का दौरा पड़ने के कारण रविवार को निधन हो गया। पार्टी के नेताओं ने यह जानकारी दी। कांग्रेस की संचार इकाई के प्रमुख सुशील आनंद शुक्ला ने बताया कि मंडावी को दिल का दौरा पड़ने के बाद पड़ोसी धमतरी शहर के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां सुबह उनका निधन हो गया.


देर रात कराया गया अस्पताल में भर्ती

कांकेर जिले में भानुप्रतापपुर निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले मंडावी शनिवार रात को जिले के चरामा इलाके में अपने पैतृक गांव नथिया नवागांव में थे. शुक्ला ने बताया कि उन्होंने बेचैनी होने की शिकायत की थी जिसके बाद उन्हें चरामा में एक अस्पताल ले जाया गया जहां डॉक्टरों ने उनकी जांच की. उन्होंने बताया कि इसके बाद मंडावी को धमतरी शहर के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां उनका निधन हो गया.

सीएम ने किया शोक व्यक्त

मनोज सिंह मंडावी के निधन से राज्यभर में शोक की लहर है. उनके निधन पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने शोक व्यक्त किया है. उन्होंने ट्वीट कर लिखा, छत्तीसगढ़ विधानसभा के उपाध्यक्ष, वरिष्ठ आदिवासी नेता, भानुप्रतापपुर विधायक मनोज सिंह मंडावी जी के आकस्मिक निधन का समाचार हम सब के लिए बेहद दुखद है. ईश्वर उनके परिवारजनों को यह आघात सहने की शक्ति दे. दिवंगत आत्मा की शांति की प्रार्थना करता हूँ.

आदिवासियों के बड़े नेता थे मंडावी

बताते चले कि मनोज सिंह मंडावी तीन बार विधायक रहे और बस्तर क्षेत्र में पार्टी का अहम आदिवासी चेहरा माने जाते थे. वहीं, मंडावी 2000 से 2003 के बीच राज्य में अजीत जोगी की अगुवाई वाली कांग्रेस सरकार के दौरान गृह एवं कारागार मंत्री थे. मंडावी को आदिवासियों के बड़े नेता के तौर पर देखा जाता था. वे छत्तीसगढ़ आदिवासी विकास परिषद के चीफ भी रह चुके हैं. बता दें कि मंडावी आदिवासियों की समस्याओं को लेकर सजग रहते थे. वे उनकी समस्याओं को प्रभावशाली ढंग से उठाते थे. उनके निधन से आदिवासी समाज में शोक की लहर है.

(भाषा- इनपुट के साथ)

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