पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने धूपगुड़ी उपचुनाव में तृणमूल की जीत को ‘ऐतिहासिक’ बताया है. शुक्रवार को दिल्ली रवाना होने से पहले कोलकाता हवाई अड्डे पर तृणमूल सुप्रीमो ममता ने कहा, यह उत्तर बंगाल के लिए एक बड़ी जीत है.धूपगुड़ी की मां-मिट्टी-लोगों को धन्यवाद.बीजेपी देश में सात में से चार उपचुनाव हार गई है. I-N-D-I-A के लिये यह बड़ी जीत है.
ममता बनर्जी ने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा, ”मैं धूपगुड़ी को लोगों का हमारे उपर विश्वास जताने और हमारे पक्ष में वोट डालने के लिए धन्यवाद करती हूं. उत्तरी बंगाल के लोग हमारे साथ हैं. लोग विकास, समावेशिता और सशक्तिकरण की हमारी रणनीति पर भरोसा करते हैं. बंगाल ने अपना जनादेश दिखाया है. जल्द ही इंडिया भी अपनी प्राथमिकता दिखाएगा. जय बांग्ला! जय भारत!
VIDEO | "North Bengal is totally with us. We have won all Zila Parishad and Panchayat elections as well. Dhupguri was a BJP seat and we won the election. It was a historic election. I congratulate all the people of Dhupguri," says West Bengal CM @MamataOfficial on Dhupguri bypoll… pic.twitter.com/rFwx34e8eo
— Press Trust of India (@PTI_News) September 8, 2023
दरअसल, धूपगुड़ी नतीजों के बाद अभिषेक की भूमिका पर अलग से चर्चा शुरू हो गई है. वह केवल एक दिन के लिए चुनाव प्रचार के लिए धूपगुड़ी गये थे. लेकिन तृणमूल सूत्रों के मुताबिक, उत्तर बंगाल के उस निर्वाचन क्षेत्र में उनकी ‘उपस्थिति’ चुनाव की घोषणा के दिन से ही थी. सागरदिघी उपचुनाव की हार के बाद धूपगुड़ी अभिषेक के लिए एक बड़ी चुनौती थी. भाजपा के हाथों से धूपगुड़ी छीनने के बाद राजनीतिक हलकों में कई लोगों का कहना है कि पार्टी कमांडर के रूप में अभिषेक बनर्जी की भूमिका वस्तुतः मेघनाथ जैसी थी. एक दिवसीय सार्वजनिक बैठक को छोड़कर वह पूरी उपचुनाव प्रक्रिया के दौरान पर्दे के पीछे रहे. समय-समय पर परिस्थिति के अनुसार संगठनात्मक रणनीति को समायोजित किया. एक तरफ तो उन्होंने नंबर बनाकर बाजी पलट दी है, वहीं दूसरी तरफ उनकी टीम को नाकों चने चबाने पड़े हैं. कई लोगों के अनुसार इन दोनों के संयोजन के परिणामस्वरूप धूपगुड़ी को भाजपा के हाथों से तृणमूल ने अपने कब्जे में ले लिया.
अभिषेक ने धूपगुड़ी में चुनाव प्रचार करते हुए एक ही सभा की. कई लोगों का मानना है कि उन्होंने उस सभा में भाषण में धूपगुड़ी को उपमंडल बनाने के बारे में जो कहा था, उसने इस उपचुनाव में जादू की तरह काम किया है. अभिषेक ने कहा था कि मैं वादा करता हूं, 31 दिसंबर तक धूपगुड़ी एक सब-डिवीजन बन जाएगा. उन्होंने यह भी कहा, मैं कह सकता था कि यह एक साल बाद होगा, यह दो साल बाद होगा. मैं मुख्यमंत्री से बात करूंगा. अच्छा ऐसा है लेकिन कोई नहीं. मैं वादा करता हूं 31 दिसंबर तक धूपगुड़ी सबडिवीजन हो जाएगा. यह मेरा वचन है और मैं यह करूंगा.
पार्टी के प्रदेश महासचिव व प्रवक्ता कुणाल घोष ने सत्तारूढ़ पार्टी के उक्त सीट को अपने पाले में करने के बाद भगवा दल ही नहीं, बल्कि माकपा व कांग्रेस पर भी तंज कसा है. उन्होंने कहा कि चुनाव प्रचार में भाजपा नेताओं के बड़े-बड़े दावे व वायदे भी काम नहीं आ सके. गत विधानसभा चुनाव में धूपगुड़ी के लोगों ने भाजपा को वोट देकर उन्हें जीत दिलायी थी. लेकिन भाजपा खेमे के किसी ने भी विधानसभा में उनकी मांगों व जरूरतों के बारे में बात नहीं की. वे केवल बंगाल के विभाजन की बात कर रहे हैं और न ही लोगों के विकास के बारे में नहीं सोचा. धूपगुड़ी के लोगों ने भाजपा को उन्हीं की भाषा में जवाब दिया है. माकपा व कांग्रेस पर निशाना साधते हुए श्री घोष ने कहा कि चुनाव प्रचार के दौरान दोनों दलों के नेता अपने उम्मीदवार से शपथ पाठ करवा रहे थे कि यदि वे जीतेंगे, तो तृणमूल में शामिल नहीं होंगे. हालांकि, इसका कोई फायदा नहीं मिला, बल्कि उनके उम्मीदवार की जमानत तक जब्त हो गयी.
धूपगुड़ी सीट पर पहले नंबर पर रहे टीएमसी के निर्मल चंद्र रॉय को 96 हजार 961 वोट मिले तो वहीं दूसरे नंबर पर रही बीजेपी की उम्मीदवार तापसी रॉय को 92 हजार 648 मत मिले. तीसरे नंबर पर सीपीआई(एम) के इश्वर चंद्र रॉय को 13 हजार 966 वोट मिले. तृणमूल ने एक बार फिर धूपगुड़ी में जीत का परचम लहरा दिया है. गौरतलब है कि भाजपा व तृणमूल दोनों के बीच कांटे की टक्कर रही हालांकि जीत का ताज तृणमूल के हाथों लगा है.
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