Oscar Awards: गुलजार से लेकर ए आर रहमान तक, इन पांच भारतीयों ने जीता है अकादमी पुरस्कार, देखें लिस्ट

एसएस राजामौली की फिल्म ने सर्वश्रेष्ठ अंतर्राष्ट्रीय फीचर फिल्म श्रेणी के बाहर ऑस्कर नामांकन हासिल करने वाली पहली भारतीय फीचर फिल्म बनी है. जहां पूरा देश ऑस्कर 2023 समारोह का बेसब्री से इंतजार कर रहा है. यहां कुछ भारतीय कलाकार हैं जिन्होंने अतीत में अकादमी पुरस्कार जीता था. देखें लिस्ट ...

By Budhmani Minj | January 25, 2023 3:18 PM
an image

1983 में भानू अथैया ने इतिहास बनाया जो अकादमी पानेवाली पहली भारतीय बनी. भानू अथैया को फिल्म ‘गांधी’ में उनके काम के लिए सर्वश्रेष्ठ कॉस्ट्यूम डिज़ाइन कैटेगरी में ऑस्कर से सम्मानित किया गया था. उन्होंने अन्य प्रतिष्ठित फिल्मों में भी काम किया है जैसे स्वदेश और प्यासा. यह महात्मा गांधी के जीवन पर आधारित ऐतिहासिक नाटक था. महाराष्ट्र के कोल्हापुर में जन्मीं अथिया एक कलाकार बनना चाहती थीं, लेकिन बाद में उन्होंने सोचा कि कॉस्ट्यूम डिज़ाइन एक ऑप्शन था. लगभग छह दशकों के करियर में अथैया ने 100 फिल्मों में काम किया.

सत्यजीत रे को देश के सर्वश्रेष्ठ फिल्म निर्माताओं में से एक माना जाता है और उन्हें दशकों पहले ऑस्कर के दौरान सम्मानित किया गया था. सत्यजीत रे को सिनेमा में उनके अपार योगदान के लिए 1992 में अकादमी मानद पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. हालांकि सत्यजीत रे बीमार थे और कोलकाता में अस्पताल में भर्ती थे इसलिए वो समारोह के लिए लॉस एंजिल्स के लिए उड़ान नहीं भर सकते थे. हालांकि, ऑड्रे हेपबर्न द्वारा पुरस्कार की घोषणा के बाद डॉल्बी थिएटर में उन्होंने वीडियो संदेश दिया. उन्होंने अपने काम को “मोशन पिक्चर्स की कला की दुर्लभ महारत और अपने गहन मानवतावाद के रूप में वर्णित किया, जिसका दुनिया भर में फिल्म निर्माताओं और दर्शकों पर एक अमिट प्रभाव पड़ा है.”

डैनी बॉयल की स्लमडॉग मिलियनेयर मुंबई के एक गली के बच्चे के जीवन पर बेस्ड नाटक थी. इसने 2009 के ऑस्कर पुरस्कारों में लोगों का ध्यान खींचते हुए दस श्रेणियों में से आठ में नामांकन हासिल किया. विजेताओं में भारतीय साउंड डिजायनर रेसुल पुकुट्टी भी थे. उन्होंने फिल्म में अपने काम के लिए ब्रिटिश समकक्ष इयान टैप और रिचर्ड प्राइके के साथ सर्वश्रेष्ठ साउंड मिक्सिंग का पुरस्कार जीता. पुकुट्टी ने अपना पुरस्कार अरबों भारतीयों को समर्पित किया था और कहा था, “मैं इस पुरस्कार को अपने देश को समर्पित करता हूं. यह सिर्फ एक अच्छा पुरस्कार नहीं है बल्कि इतिहास का एक टुकड़ा है जो मुझे सौंपा गया है.”

एआर रहमान भी इतिहास रचने में कामयाब रहे, जिन्हें “मद्रास के मोजार्ट” के नाम से जाना जाता है. 2009 के ऑस्कर में वह स्लमडॉग मिलियनेयर में अपने काम के लिए दो अकादमी पुरस्कार जीतने वाले पहले भारतीय बने. उन्होंने स्लमडॉग मिलियनेयर के गाने “जय हो” के लिए सर्वश्रेष्ठ मूल गीत और सर्वश्रेष्ठ मूल गीत का पुरस्कार जीता. फिल्म के एक अन्य गीत “ओ साया” ने भी सर्वश्रेष्ठ मूल गीत श्रेणी में नामांकन पाया. एआर रहमान ने 1992 में मणिरत्मन की रोजा से अपनी शुरुआत की थी जिसके लिए उन्होंने राष्ट्रीय पुरस्कार जीता. अपने तीन दशक से अधिक के करियर में, उन्होंने तमिल और हिंदी फिल्मों के लिए संगीत तैयार किया है और लोकप्रिय बने हुए हैं.

यह पुकुट्टी और रहमान थे जिन्होंने 2009 के ऑस्कर में ध्यान खींच लिया था. लेकिन अनुभवी कवि और गीतकार गुलज़ार ने रहमान के साथ सर्वश्रेष्ठ मूल गीत का पुरस्कार साझा किया. “जय हो” के बोल गुलज़ार ने लिखे थे. पुरस्कार जीतने के एक दशक बाद गुलज़ार ने कहा, “यह एआर रहमान की वजह से था कि गीत ने पुरस्कार जीता. हालांकि सुखविंदर सिंह ने भी गाने में भरपूर एनर्जी डालकर गाने को हिट बनाने में अपना योगदान दिया. कुल मिलाकर, मैं कहूंगा कि हम सभी सहमत हैं कि यह संगीत उस्ताद ए आर रहमान की वजह से था कि इस गीत ने प्रतिष्ठित पुरस्कार जीता.

संबंधित खबर
संबंधित खबर और खबरें
होम E-Paper News Snaps News reels
Exit mobile version