Bengal Exit Poll Result: वाम मोर्चा की लोकप्रियता में आयी गिरावट, लगातार घटता गया माकपा का वोट बैंक
Exit Poll Result: बंगाल चुनाव 2021 के आठवें चरण का मतदान संपन्न होने के बाद तीन एजेंसियों के एग्जिट पोल आ गये. बंगाल में तीनों ही एग्जिट पोल में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) की अगुवाई वाले लेफ्ट की लोकप्रियता में कमी दिखायी गयी है. उसे सीटों का भी अच्छा-खासा नुकसान होता दिख रहा है. कांग्रेस-लेफ्ट-आइएसएफ गठबंधन को सिर्फ 15 फीसदी वोट मिलता दिख रहा है. इस गठबंधन को अधिकतम 21 सीटें मिलती दिख रही हैं. वर्ष 2016 में दोनों ने मिलकर 72 सीटें जीतीं थीं.
By Prabhat Khabar Digital Desk | April 29, 2021 7:32 PM
कोलकाता : बंगाल चुनाव 2021 के आठवें चरण का मतदान संपन्न होने के बाद तीन एजेंसियों के एग्जिट पोल आ गये. बंगाल में तीनों ही एग्जिट पोल में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) की अगुवाई वाले लेफ्ट की लोकप्रियता में कमी दिखायी गयी है. उसे सीटों का भी अच्छा-खासा नुकसान होता दिख रहा है. कांग्रेस-लेफ्ट-आइएसएफ गठबंधन को सिर्फ 15 फीसदी वोट मिलता दिख रहा है. इस गठबंधन को अधिकतम 21 सीटें मिलती दिख रही हैं. वर्ष 2016 में दोनों ने मिलकर 72 सीटें जीतीं थीं.
बंगाल में लगातार तीन दशक से ज्यादा वक्त तक शासन करने वाली वाम मोर्चा की लोकप्रियता में धीरे-धीरे गिरावट आयी और लगातार उसके वोट बैंक में गिरावट दर्ज की जाने लगी. वर्ष 2006 के विधानसभा चुनाव में लेफ्ट फ्रंट की अगुवा पार्टी मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) को 37.13 फीसदी वोट मिले थे.
वर्ष 2006 के चुनाव में माकपा को सबसे ज्यादा 176 सीटें मिलीं थीं. बुद्धदेव भट्टाचार्य लगातार दूसरी बार मुख्यमंत्री बने थे. लेकिन इसके बाद से माकपा के वोट में लगातार गिरावट दर्ज की गयी. साथ ही विधानसभा में उसकी संख्या भी कम ही होती चली गयी.
वर्ष 2006 में माकपा ने विधानसभा की 176 सीटों पर जीत दर्ज की थी और वह प्रदेश की सबसे बड़ी पार्टी थी. इसके पहले भी राज्य में वाम मोर्चा का ही शासन था. लेकिन, वर्ष 2006 के बाद उसके वोट शेयर में थोड़ी गिरावट आयी, लेकिन बंगाल में लेफ्ट का लाल किला ध्वस्त हो गया.
वाम मोर्चा की सरकार का पतन हो गया और उसके बाद उसके मत प्रतिशत में भी भारी कमी दर्ज की गयी. वर्ष 2006 में 37.13 फीसदी वोट हासिल करने वाली माकपा को वर्ष 2011 में सिर्फ 30.08 फीसदी वोट मिले. इसके बाद वर्ष 2016 में हुए चुनाव में इसका मत प्रतिशत घटकर 19.75 फीसदी रह गया.
इससे भी बुरी बात यह रही कि मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी को इन दो चुनावों में विधानसभा सीटों का भी भारी नुकसान हुआ. वर्ष 2006 में 176 सीटें जीतने वाली पार्टी वर्ष 2011 में 40 और वर्ष 2016 में 26 सीटों पर सिमटकर रह गयी. हालांकि, वर्ष 2016 में उसने कांग्रेस के साथ गठबंधन किया था. कांग्रेस की सीटें तो बढ़ीं, लेकिन माकपा की और कम हो गयीं.