भारत सड़क नेटवर्क की लंबाई के मामले में अमेरिका के बाद दुनिया में दूसरे पायदान पर है. केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने लोकसभा को जानकारी दी है कि मार्च 2019 तक हमारे देश में सड़कों की लंबाई लगभग 63.32 लाख किलोमीटर थी. मार्च 2014 में यह आंकड़ा करीब 54.02 लाख किलोमीटर था. उल्लेखनीय है कि वित्त वर्ष 2019-20 में 10,237 किलोमीटर लंबे राजमार्ग का निर्माण हुआ था. उस वर्ष राजमार्ग की लंबाई में औसतन हर दिन 28.04 किलोमीटर की बढ़ोतरी हुई थी. वर्ष 2020-21 में 36.51 किलोमीटर प्रति दिन के औसत से 13,327 किलोमीटर लंबे राजमार्ग का निर्माण हुआ था. वर्ष 2022 और 2023 के वित्त वर्ष में यह आंकड़ा क्रमश: 10,457 और 10,331 किलोमीटर रहा था. चालू वित्त वर्ष में अप्रैल से दिसंबर 2023 की अवधि में 6,216 किलोमीटर राजमार्ग बनाये गये हैं. जैसा कि गडकरी ने रेखांकित किया है, राजमार्गों के विस्तार का मुख्य आधार बजट आवंटन में निरंतर बढ़ोतरी है. इस वृद्धि का अनुमान इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि राजमार्गों के विस्तार के मद में वित्त वर्ष 2013-14 में 31,130 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया था, जबकि 2023-24 में यह आवंटन 2,76,351 करोड़ रुपये हो गया. राष्ट्रीय राजमार्गों पर पूंजीगत व्यय में भी बड़ी वृद्धि हुई है. वर्ष 2013-14 में यह खर्च 51,000 करोड़ रुपये रहा था, जो 2022-23 में 2.40 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गया. राजमार्गों के लिए कुल आवंटन 2.70 लाख करोड़ रुपये का था. बीते एक फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा प्रस्तुत अंतरिम बजट में इस आवंटन में मामूली बढ़त की गयी है.
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