FIH Olympic Qualifiers 2024: धनराज पिल्लै ने बताई महिला हॉकी टीम की हार की वजह, विदेशी कोच पर भड़के
रांची में चल रहे हॉकी ओलिंपिक क्वालीफायर 2024 के तीसरे और चौथे नंबर के मुकाबले में भारत को जापान से हार का सामना करना पड़ा. इस हार के बाद भारत ओलिंपिक की दौड़ से बाहर हो गया. अपने समय के दिग्गज हॉकी खिलाड़ी धनराज पिल्लै ने भारत की इस हार की वजह गिनाई है.
By Agency | January 19, 2024 8:04 PM
चार बार के ओलंपियन महान फॉरवर्ड धनराज पिल्ले ने कहा कि पेरिस ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करने से चूकी भारतीय महिला हॉकी टीम में अनुभवी खिलाड़ियों की कमी नजर आई और उन्हें नहीं लगता कि टीम को विदेशी कोच की जरूरत है. रांची में चल रहे एफआईएच ओलंपिक महिला हॉकी क्वालीफायर में तीसरे स्थान के मुकाबले में जापान ने भारत को 1- 0 से हराया. जर्मनी और अमेरिका फाइनल में पहुंचकर पहले ही क्वालीफाई कर चुके हैं. तोक्यो ओलंपिक में ऐतिहासिक चौथे स्थान पर रहने के बाद से भारतीय महिला हॉकी टीम का पूरा फोकस पेरिस ओलंपिक पर था लेकिन एशियाई खेलों के जरिए टीम सीधे क्वालीफाई करने से चूक गई थी. यह क्वालीफायर उसके पास एकमात्र मौका था जिसे भी उसने गंवा दिया.
सीनियर खिलाड़ियों की हुई अनदेखी
चार ओलंपिक और चार विश्व कप खेल चुके धनराज ने भाषा को दिए इंटरव्यू में कहा, ‘पिछले एक डेढ़ साल में महिला हॉकी कोच को पूरी स्वतंत्रता दी गई. लेकिन तीन चार अनुभवी खिलाड़ी टीम में वापसी के लिए तरसते रहे जिन्हें सीनियर बोलकर टीम से निकाल दिया.’ उन्होंने तोक्यो ओलंपिक में टीम की कप्तान रही रानी रामपाल का नाम लिए बगैर कहा कि इन लड़कियों ने घरेलू हॉकी और राष्ट्रीय खेलों में अच्छा प्रदर्शन किया. सीनियर खिलाड़ियों को टीम में रखकर कैसे अच्छा प्रदर्शन कराना है, यह कोच के हाथ में होता है. उन्हें मौका दिए बिना बाहर करना सही नहीं था. इसका नतीजा सामने है.’
उन्होंने कहा कि यही समय था कि अनुभवी खिलाड़ियों को जूनियर खिलाड़ियों का मार्गदर्शन करने के लिए टीम में होना चाहिए था. फॉरवर्ड लाइन में तालमेल नहीं था हालांकि टीम को वंदना कटारिया की कमी खली जो चोट के कारण बाहर थी. धनराज ने कहा कि मेरे साथ भी ऐसा ही हुआ था जब 1998 एशियाई खेलों के बाद मेरे समेत सात लोगों को बाहर किया था लेकिन मैं छह साल और खेला. उन्होंने कहा कि पूर्व भारतीय खिलाड़ियों की अनदेखी करके विदेशी कोच लाने की कोई जरूरत नहीं थी जब नतीजे ही नहीं मिल रहे.
टीम का कोच बनना चाहते हैं पिल्लै
उन्होंने कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि हमें विदेशी कोच की जरूरत थी. हमारे पास हरेंद्र सिंह जैसा एफआईएच क्वालीफाइड कोच था जिसकी अनदेखी की गई. वह आज अमेरिका का हाई परफार्मेंस कोच है और हमें जूनियर विश्व कप जिता चुका है.’ धनराज ने कहा, ‘मैं भारतीय हॉकी की सेवा करना चाहता था लेकिन किसी ने मुझे भी कोच बनने के लिए नहीं कहा. हॉकी मेरा जीवन है और जुनून भी है, लेकिन मेरी सेवाएं लेने की कभी कोशिश ही नहीं की. अगर पेशकश मिलती तो मैं बिल्कुल तैयार था और अपने अनुभव से काफी कुछ दे सकता था.
उन्होंने भारतीय खिलाड़ियों को भी आड़े हाथों लेते हुए कहा कि टीम आत्ममुग्धता की शिकार दिखी और गलतियों से सबक लेने की कोशिश नहीं की. उन्होंने कहा, ‘जापान के खिलाफ नौ पेनल्टी कॉर्नर पर गोल नहीं कर पाना कोई छोटी बात नहीं है. खिलाड़ियों को ओलंपिक वर्ष को देखते हुए सोशल मीडिया से थोड़ी दूरी बनाकर रखनी चाहिए थी. भटकाव से बचकर ही प्रदर्शन पर फोकस हो सकता है.’
इस हार से उबरने में लगेगा काफी समय
उन्होंने कहा, ‘सरकार खेलों पर इतना खर्च कर रही है और प्रधानमंत्री आपसे खुद मिलते हैं. ऐसे में आपका भी फर्ज बनता है कि बदले में प्रदर्शन पर पूरा फोकस रखे.’ धनराज ने कहा कि अब इस झटके से महिला हॉकी को उबरने में काफी समय लगेगा. उन्होंने कहा कि ओलंपिक क्वालीफाई नहीं करने से महिला हॉकी काफी पीछे चली जायेगी. बीजिंग ओलंपिक 2008 के लिए क्वालीफाई नहीं करने के बाद पुरुष हॉकी टीम को भी उबरने में काफी समय लगा था. अब सही रणनीति बनाकर आगे बढ़ने की जरूरत है.