मामले के याचिकाकर्ता सुभाष दत्त का कहना है कि राज्य सरकार जान-बूझकर मामले की अनदेखी कर रही है. यदि नहीं, तो न्यायालय द्वारा बस स्टैंड हटाने का आदेश बहुत पहले दिया गया था. यदि राज्य सरकार इसका पालन करती, तो इस मामले को सुप्रीम कोर्ट ले जाने की नौबत ही नहीं आती. उन्होंने कहा कि न केवल विक्टोरिया मेमोरियल को वाहनों के धुएं और प्रदूषण से बचाने के लिए, बल्कि संबंधित क्षेत्र में भीड़भाड़ कम करने के लिए भी धर्मतला बस स्टैंड को स्थानांतरित करना आवश्यक है.
हालांकि प्रशासन की ओर से कोर्ट को इसकी जानकारी दी गयी थी, लेकिन शीर्ष प्रशासनिक स्तर की ओर से मामले से जुड़े सभी पक्षों के साथ कई बैठकें की गयीं. उस बैठक के आधार पर, पिछले महीने दो बार धर्मतला बस स्टैंड के विकल्प के रूप में कई स्थानों का निरिक्षण किया गया. निरीक्षण से पता चला कि सांतरागाछी बस टर्मिनल पर अधिकतम 100 लंबी दूरी की बसें रखी जा सकती हैं. भविष्य में जरूरत पड़ने पर उस क्षेत्र की सीमा का विस्तार करना संभव नहीं है. फिर, कोलकाता मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड भवन का क्षेत्रफल लगभग 5259 वर्ग मीटर है. निरीक्षण में पता चला कि वहां अधिकतम 60 बसें रखी जा सकती हैं. इसी तरह, हावड़ा में फोरशोर रोड और ड्यूक रोड पर क्रमशः 200, 40 और 150 लंबी दूरी की बसों को समायोजित किया जा सकता है.
दूसरे शब्दों में कहें तो राज्य ने कोर्ट को बताया कि 550 बसें पांच जगहों पर रखी जा सकती हैं. हालांकि, ड्यूक रोड, जहां 150 बसें रखने की योजना प्रस्तावित हैं, पूरी तरह से अतिक्रमणकारियों द्वारा कवर किया गया है. जिससे पांच स्थानों पर कुल 400 बसें रखी जा सकेंगी.
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