Flower Farming: झारखंड के लखपति किसान, फूलों की खेती से मिली पहचान, अब दूसरों को भी दे रहे रोजगार
पूर्वी सिंहभूम जिले के पटमदा एवं बोड़ाम प्रखंड के किसान सबसे अधिक फूल की खेती कर रहे हैं. अगस्त माह से लेकर नवंबर माह तक फूल की खेती कर ये लाखों रुपए कमाते हैं. सावन माह से लेकर गणेश पूजा, विश्वकर्मा पूजा, दुर्गा पूजा, काली पूजा, लक्ष्मी पूजा एवं छठ पूजा में फूल माला की कीमत अच्छी खासी रहती है.
By Prabhat Khabar Digital Desk | December 18, 2022 11:45 AM
Flower Farming: झारखंड के पूर्वी सिंहभूम जिले के पटमदा के युधिष्ठिर महतो और बोड़ाम के धनंजय महतो ने फूल की खेती से अपनी पहचान बनायी है. कोल्हान में सब्जी की खेती के लिए प्रसिद्ध पटमदा के कुमीर गांव निवासी युधिष्ठिर महतो, लावा गांव निवासी राजेश गोराई एवं बोड़ाम के मुचीडीह गांव निवासी धनंजय महतो गेंदा फूल, गुलाब एवं जवा फूल की खेती कर अच्छी कमायी कर रहे हैं. इन किसानों के फूल की खेती से प्रेरित होकर पटमदा एवं बोड़ाम प्रखंड के लगभग दो दर्जन किसान 10 हेक्टर में फूल की खेती कर रहे हैं. फूल की खेती से ये साल में 4-5 लाख रुपये कमायी कर लेते हैं.
पूजा के दौरान फूलों की होती है अच्छी डिमांड
पूर्वी सिंहभूम जिले के पटमदा एवं बोड़ाम प्रखंड के किसान सबसे अधिक फूल की खेती कर रहे हैं. अगस्त माह से लेकर नवंबर माह तक फूल की खेती कर ये लाखों रुपए आमदनी करते हैं. क्षेत्र के किसानों का मानना है कि सावन माह से लेकर गणेश पूजा, विश्वकर्मा पूजा, दुर्गा पूजा, काली पूजा, लक्ष्मी पूजा एवं छठ पूजा में फूल माला की कीमत अच्छी खासी रहती है. इसके कारण मुनाफा भी अच्छा होता है. फूल की खेती करने वाले किसान अपने-अपने घरों में मजदूरों के जरिए फूल का माला भी तैयार करते हैं. फूल की खेती करने वाले किसान 4 माह इसका सीजन मानते हैं. बाकी के दिनों को ऑफ सीजन मानते हैं.
बंगाल व जमशेदपुर में बिकते हैं फूल
पटमदा एवं बोड़ाम के किसान फूल एवं माला की बिक्री जमशेदपुर एवं पश्चिम बंगाल के पुरुलिया में करते हैं. फूल की खेती करने वाले किसानों को बैंकों से केसीसी लोन भी आसानी से मिलता है. सालोंभर फूल की खेती करने वाले ये किसान अपनी पहचान बनाने के साथ-साथ आसपास के लोगों को रोजगार भी दे रहे हैं. पटमदा एवं बोड़ाम प्रखंड से प्रतिदिन हजारों गेंदा फूल की माला एवं सैकड़ों गुलाब एवं जवा फूल शहर के बाजारों में पहुंचता है, जिससे लोग अपने- अपने घरों में पूजा पाठ एवं सजावट करते हैं.
12 वर्षों से करते आ रहे हैं फूल की खेती
पटमदा के कुमीर गांव निवासी युधिष्ठिर महतो ने बताया कि पूर्व में वे सब्जी की खेती करते थे, जिससे हमेशा नुकसान सहना पड़ता था. 12 वर्ष पूर्व उन्होंने सब्जी की खेती छोड़ गेंदा फूल की खेती शुरू की और अच्छी खासी आमदनी होने लगी, तो उन्होंने सब्जी की खेती छोड़ हमेशा के लिए फूल की खेती को अपना लिया. युधिष्ठिर ने बताया कि गेंदा फूल के साथ-साथ अब वे जवा फूल गोला डीलक्स, गुल्ला आदि की भी खेती करते हैं. पटमदा में सबसे पहले उन्होंने ही फूल की खेती शुरू की थी.
फूल के साथ-साथ चारा भी करते हैं बिक्री
बोड़ाम प्रखंड के मुचीडीह गांव निवासी धनंजय महतो ने बताया कि इन दिनों फूल के साथ-साथ विभिन्न वेरायटी के गेंदा फूल और चारा की भी बिक्री करते हैं. धनंजय ने बताया कि फूल की खेती से क्षेत्र में उनकी आज पहचान बनी है. पश्चिम बंगाल के बांकुड़ा से वह अच्छी क्वालिटी के फूल व चारा लाते हैं और आसपास के किसानों को सप्लाई करते हैं. फूल की खेती कर हर साल धनंजय 4 से 5 लाख की आमदनी करते हैं.