PHOTOS: देखते रह जाएंगे घाघरा जलप्रपात की खूबसूरती, डैम से किसान ढाई हजार एकड़ में सालोंभर करते हैं खेती

हजारीबाग जिले के बड़कागांव प्रखंड मुख्यालय से 8 किलोमीटर दूर पहरा के घाघरा जलप्रपात व डैम की खूबसूरती देखते ही बनती है. यह जलप्रपात एवं डैम बरबस ही लोगों का मन मोह लेता है. ये जलप्रपात तीन ओर से जंगल व पहाड़ों से घिरा हुआ है. डैम के पानी से किसान करीब ढाई हजार एकड़ में खेती करते हैं.

By Guru Swarup Mishra | December 5, 2022 4:09 PM
an image

घाघरा जलप्रपात व डैम पहरा गांव में है. ये गांव तत्कालीन मंत्री योगेंद्र साहू, पूर्व विधायक निर्मला देवी एवं वर्तमान विधायक अंबा प्रसाद का है. यह जलप्रपात केरेडारी प्रखंड में आता है. इस जलप्रपात से बड़कागांव प्रखंड के कुछ गांव एवं केरेडारी प्रखंड की 7 पंचायतों की ढाई हजार एकड़ जमीन में सालोंभर बहुफसली खेती होती है.

आजादी के बाद जब तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू को घाघरा जलप्रपात के बारे में जानकारी मिली, तो उन्होंने कृषि को बढ़ावा देने के लिए 1952 में डैम का निर्माण करवाया था. करीब 10 वर्ष बाद 32 किमी तक नहर बनायी गयी. इस जलप्रपात से लगभग सात पंचायत के 20 गांवों से अधिक के लोग सालोंभर खेती करते हैं. इस नहर में तीन वर्ष पूर्व विधायक निर्मला देवी के प्रयास से 20 करोड़ की लागत से 32 में से 18 किमी तक ढलाई करायी गयी थी.

घाघरा जलप्रपात का पानी केरेडारी प्रखंड के 20 गांवों के किसानों के लिए वरदान से कम नहीं है. घाघरा जलप्रपात के पानी को स्टोर कर बड़ा डैम बनाया गया है. जलप्रपात के पानी से ढाई हजार एकड़ में सिंचाई की जाती है. घाघरा जलप्रपात से निकली नहर खेतों तक जाती है. इससे सालोंभर सिंचाई होती रहती है.

घाघरा जलप्रपात एवं डैम से 7 पंचायत के किसान सालोंभर खेती करते हैं. बेलतू, कंडाबेर, हेवई, बरियातु, बेंगवरी, पगार समेत अन्य पंचायत के किसान दो से ढाई हजार एकड़ में खेती कर रहे हैं. कभी उन्हें पानी की दिक्कत नहीं होती. घाघरा डैम के इंचार्ज मकसूद आलम का कहना है कि सालोंभर डैम से रिस-रिस कर जो पानी बहकर बर्बाद हो जाता है, उसे रोका जा सकता है. डैम के पानी से किसानों को सिंचाई में दिक्कत नहीं होती है.

कृषि को बढ़ावा देने के लिए 1952 में डैम का निर्माण करवाया था. करीब 10 वर्ष बाद 32 किमी तक नहर बनायी गयी थी. इस जलप्रपात से लगभग सात पंचायत के 20 गांवों से अधिक के लोग सालोंभर खेती करते हैं.

संबंधित खबर
संबंधित खबर और खबरें
होम E-Paper News Snaps News reels
Exit mobile version