छात्राओं ने वार्डन पर प्रताड़ना का लगाया आरोप
छात्राओं ने आरोप लगाया कि यहां अध्ययनरत छात्राओं से पढ़ाई के समय भी अन्य कार्य कराए जाते हैं. ना तो सही नाश्ता दिया जाता है और ना ही भरपेट भोजन दिया जा रहा है. नतीजा कस्तूरबा स्कूल से निकलकर करीब 18 किलोमीटर पैदल ही चलकर सुबह सात बजे डीसी ऑफिस पहुंच गई. छात्राओं के यहां पहुंचने की खबर पाकर प्रशासनिक पदाधिकारियों में हड़कंप मच गई. देखते ही देखते शिक्षा विभाग समेत के पदाधिकारी डीसी ऑफिस पहुंच गए. यहां छात्राओं से उनकी शिकायत सुनी इसके बाद समझा-बुझाकर सभी छात्राओं को गाड़ी में बिठाकर वापस कस्तूरबा स्कूल पहुंचा दिया गया.
जिला शिक्षा अधीक्षक ने सुनी समस्या
जिला शिक्षा अधीक्षक अभय कुमार सील भी मौके पर पहुंचकर छात्राओं से बातचीत की और उनकी शिकायत सुनी. इसके बाद छात्राओं को समझा-बुझाकर खुद भी गाड़ी में बैठकर छात्राओं के साथ कस्तूरबा स्कूल चले गए. छात्राओं की शिकायत है कि वहां तैनात वार्डन बच्चियों को मानसिक रूप से टॉर्चर करती है. शिकायत करने पर छात्राओं को अलग से सजा मिलती है. जिस कारण बच्चियां अपने गार्जियन को भी नहीं बताती. इस तरह से बच्चों के ऊपर हो रही प्रताड़ना से परेशान होकर बच्चियां सोमवार की सुबह सात बजे ही पहुंच गई थी. यही नहीं साफ सफाई के नाम पर प्रतिमाह पांच रुपए उगाही की जाती है. नहीं देने पर अलग से सजा भुगतना पड़ता है. सजा के तौर पर एक सौ से 200 बार उठक-बैठक कराया जाता है.
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डीसी ने जांच का दिया निर्देश
बता दें कि कस्तूरबा स्कूल खूंटपानी में अध्ययनरत 11वीं कक्षा की कुल 61 छात्राएं रविवार की देर रात 1:30 बजे स्कूल का दीवार फांदकर पैदल ही निकल पड़ी. वहां तैनात सुरक्षा कर्मियों को इसकी भनक तक नहीं लगी. जबकि छात्राओं की सुरक्षा के लिए तीन सुरक्षाकर्मी वहां तैनात किए गए हैं. जिसमें से दो महिला सुरक्षाकर्मी एवं एक पुरुष सुरक्षाकर्मी तैनात हैं. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि यहां तैनात सुरक्षाकर्मी इन छात्राओं को कितना सुरक्षा दे पाते होंगे. जबकि स्कूल से एक दो नहीं बल्कि 61 छात्राएं दीवार फांदकर निकल गई. इस बाबत डीसी अनन्या मित्तल ने जांच टीम गठित कर अविलंब जांच करने का निर्देश दिया है.