गोफ के अंदर समाने से पहले जो वस्त्र पिता पुत्र पहनकर रात में अपने घर में सोये थे, वही वस्त्र मात्र इनके अंग पर बचा हु्आ है. श्याम लाल भुईयां कहते हैं कि उनकी पत्नी पूर्व से ही बीमार थी वह घटना से पहले इलाज कराने के लिए राज्य से बाहर गयी है, जो अभी लौटकर आयी नहीं है. उनके लौटने से पहले ही घर द्वार सब गोफ ने छिन लिया है. अब उनके और पुत्रों के इज्जत ढकने के लिए जो तन पर कपड़ा है मात्र वही बचा हुआ है. वहीं कहते हैं कि इलाज कराने के बाद पत्नी के लौटने पर वह इस सदमे को सहन कर पायेगी या नहीं. श्याम लाल ने गांव के सभी लोगों को तारीफ करते हुए कहा कि बस्ती के लोग बहुत अच्छे हैं. घर से खाना बनाकर उन्हें खाने को दे रहे हैं. उसी के सहारे वे लोग अब तक जीवित है.
गोफ स्थल बना बच्चों के लिए खेल का मैदान
बीसीसीएल प्रबंधन के द्वारा गोफ स्थल की भराई कर यहां जमीन को समतल करा दिया है, जो अब बच्चों के लिए खेल का मैदान बन गया है. कभी भी बड़ी घटना को आमत्रण दे सकता है. गोफ भराई स्थल की घेराबंदी नहीं किया जाना बीसीसीएल प्रबंधन की लापरवाही को उजागर करता है. बताया जाता है कि गोफ स्थल के समीप गोफ की यह दूसरी घटना है. वर्ष 2017 में भी यहां गोफ बनी थी तब भी बीसीसीएल प्रबंधन ने सिर्फ मिट्ठी व ओबी डालकर इसकी भराई कर छोड दिया था. परिणाम स्वरूप यहां 14 अगस्त की दूसरी बार गोफ की घटना घट गयी. जिसमें पिता पुत्र दोनों अंदर चले गये थे. इस घटना से भी प्रबंधन ने सबक नहीं लिया है. गोफ स्थल भराई के बाद जो कार्यवाही बीसीसीएल को करनी चाहिए थी वह नहीं किया. जानकार कहते हैं कि बीसीसीएल प्रबंधन को कम से कम गोफ स्थल के चारों तरफ घेराबंदी कराना अनीवार्य था. जो उन्होंने नहीं किया. जगह समतल होने पर बच्चे यहां खेलना शुरू कर दिये हैं. ऐसे में तीसरी बार यहां कोई हादसा नहीं होगा, इसकी क्या गारंटी है. यादि गोफ हुई और कोई अप्रिय हादसा यहां होता है तो इसका जिम्मेदार कौन होगा.
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