राज्यपाल श्री धनखड़ ने कहा कि वह कुलपतियों के साथ बैठक कर विश्वविद्यालयों के समक्ष आ रही परेशानियों के बारे में जानना चाहते थे, लेकिन वे इस बैठक में नहीं शामिल हुए. यह दर्शाता है कि पश्चिम बंगाल में शिक्षा व्यवस्था राजनीतिक पिंजरे में कैद हो गयी है.
राज्यपाल ने कहा कि कोविड-19 संकट के समय मैंने 15 जुलाई को विश्वविद्यालयों के कुलपतियों के साथ एक वर्चुअल कॉन्फ्रेंस निर्धारित किया था. लेकिन, राज्य सरकार का कहना है कि नियमों के अंतर्गत वर्चुअल कॉन्फ्रेंस के लिए कोई प्रावधान नहीं है.
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राज्यपाल ने राज्य के उच्च शिक्षा विभाग के इस नियम पर भी सवाल उठाये. उन्होंने कहा कि इस प्रकार का कोई एक्ट विधानसभा में पारित नहीं हुआ है और ना ही अब तक उनके पास हस्ताक्षर के लिए भेजा गया है.
दूसरी तरफ, पश्चिम बंगाल सरकार (West Bengal government) के उच्च शिक्षा विभाग ने कहा है कि कुलपति द्वारा किसी भी राज्य-सहायता प्राप्त विश्वविद्यालय में किये जाने वाले प्रस्तावित संचार को विभाग के माध्यम से भेजा जायेगा और इस तरह के संचार पर कार्रवाई एक बार विभाग द्वारा संपन्न होने के बाद की जायेगी.
हालांकि, कोई भी कुलपति सचिवालय नहीं होगा. राज्यपाल को कुलपतियों के साथ बैठक करने से पहले उच्च शिक्षा विभाग को जानकारी देनी होगी. राज्यपाल के पास प्रत्यक्ष रूप से कुलपतियों के साथ बैठक का अधिकार नहीं है.
Posted By : Samir ranjan.