Gujarat Election 2022: गुजरात की सत्ता से कांग्रेस 27 सालों से दूर है. जबकि, 1995 तक कांग्रेस गुजरात पर एक छत्र राज कर चुकी है. दरअसल, गुजरात की राजनीति में जातिगत समीकरण को अहम माना जाता हैं. इसी के मद्देनजर, कांग्रेस ने आदिवासी वोटों के लिए सुखराम राठवा पर विश्वास जताया है. बता दें कि गुजरात विधानसभा में विपक्ष के नेता सुखराम राठवा एक आदिवासी नेता हैं.
1985 से गुजरात की राजनीति में सक्रिय है सुखराम राठवा
सुखराम राठवा 1985 से गुजरात की राजनीति में सक्रिय हैं. राठवा पांच बार कांग्रेस के टिकट पर विधायक चुने गए हैं. छोटा उदयपुर की सीट पर उनकी अच्छी पकड़ है. सुखराम राठवा ने साल 2017 में पावी जेतपुर सीट से विधायक के रूप में चुनाव जीता था. एक आदिवासी नेता के रूप में भी उनका अच्छा राजनीतिक अनुभव है.
गुजरात में क्या है जातिगत आबादी का प्रतिशत
गुजरात में अगर जातिगत आबादी की बात करें तो ओबीसी 52 फीसदी है. वहीं, क्षत्रिय 16 फीसदी, पाटीदार 16 फीसदी, दलित 7 फीसदी, आदिवासी 11 फीसदी, मुस्लिम 9 फीसदी है. इसके अलावा, अगर सामान्य जातियों की बात करे, तो ब्राह्मण, बनिया, कायस्थ महज पूरे प्रदेश में 5 फीसदी है.
ओबीसी दलित और आदिवासी वोट बैंक पर कांग्रेस की नजर
ऐसे में कांग्रेस के पिछड़े वर्ग के बड़े नेता जगदीश ठाकोर और सुखराम राठवा को विशेष जिम्मेदारी दी गई है. इन अनुभवी नेताओं के तजुर्बे को ध्यान में रखते हुए सियासी समीकरण को साधने की कोशिश में कांग्रेस जुट गई है. गुजरात की राजनीति में जगदीश ठाकोर की पहचान एक तेजतर्रार नेता के रूप में होती है. कांग्रेस गुजरात में सत्ता पर वापसी के लिए ओबीसी दलित और आदिवासी वोट बैंक का टारगेट कर रही है. इसी के मद्देनजर 2022 के चुनाव से पहले ही जगदीश ठाकोर को कांग्रेस ने कमान सौंपी है. जबकि, आदिवासी वोटों के लिए सुखराम राठवा पर विश्वास जताया है.
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