वाराणसी के ज्ञानवापी परिसर की एएसआई सर्वे रिपोर्ट को जिला कोर्ट ने गुरुवार को सार्वजनिक कर दी. इसके बाद हिंदू पक्ष ने दावा किया कि एएसआई सर्वे रिपोर्ट के अनुसार साबित होता है कि यह हिंदू मंदिर ही था. लेकिन मुस्लिम पक्ष ने इसका खंडन करते हुए कहा कि सर्वे रिपोर्ट में कुछ भी नया नहीं है. साथ ही वहां मिली मूर्तियों की पौराणिकता पर भी सवाल उठाया है. मुस्लिम पक्ष के वकील अखलाक अहमद का कहना था कि इस सर्वे रिपोर्ट में सरसरी निगाह से देखा है कि जो भी फोटो हैं ये पुराने हैं जो एडवोकेट कमीशन के समय में सामने आ चुके थे. कोई भी नया फोटो नहीं है. बस अंतर इतना ही है कि पहले केवल फोटो खींचकर दिखाए गए थे अब इनकी नाप-जोख करके लिख दिया गया है. कोई नया सबूत नहीं मिला है. खुदाई के बारे में उनका कहना था कि खुदाई के लिए उन्हें मना किया गया था. एएसआई के डायरेक्टर ने भी हलफनामा दायर करके कहा था कि खुदाई नहीं की जाएगी. लेकिन उन्होंने मंदिर के पश्चिमी हिस्से में जो मलबा था उसकी सफाई कराई है. उससे हमें यह फायदा हुआ कि वहां हमारी जमीन पर दो मजारें थीं वह भी खुल गईं हैं. उन्होंने दक्खिनी तहखाने में कुछ मिट्टी निकाली है जब कुछ नहीं मिला तो उसी तरह मिट्टी छोड़ दी. वहीं हिंदू पक्ष के इस दावे पर कि पश्चिमी दीवार मंदिर की दीवार है, इस पर अखलाक अहमद ने कहा कि ऐसा गलत है. पश्चिमी दीवार में ऐसी कोई मूर्ति नहीं लगी है जिससे कहा जा सके कि वह मंदिर है.
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