पत्र में बिसेन ने लिखा है कि ज्ञानवापी परिसर को लेकर हिंदू और मुस्लिम पक्ष अदालत में अपनी-अपनी दलीलें दे रहे हैं जबकि इस लड़ाई का लाभ कुछ असामाजिक तत्व अपने निजी फायदे के लिए उठाना चाहते हैं जो देश और समाज, दोनों के लिए हानिकारक हो सकता है. उन्होंने कहा ‘‘ऐसे में हम सभी का यह कर्तव्य है कि अपने देश और समाज की रक्षा और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए इस विवाद का निस्तारण शांतिपूर्ण तरीके से आपसी बातचीत के माध्यम से निकालकर एक मिसाल कायम करें.’’ पत्र में दोनों पक्षों से बातचीत के लिए आगे आने का आह्वान करते हुए कहा गया है ‘‘हो सकता है आपसी बातचीत से अदालत के बाहर कोई शांतिपूर्ण समाधान निकल जाए. ’’
इंतेजामिया मस्जिद कमेटी के संयुक्त सचिव मोहम्मद यासीन ने कहा कि उन्हें मीडिया के माध्यम से पत्र मिला है जिसे कमेटी की बैठक में प्रस्तुत किया जाएगा. उन्होंने कहा, ‘‘कमेटी के सदस्यों का जो भी फैसला होगा, वह मान्य होगा.’’ हिंदू पक्ष के एक अन्य अधिवक्ता हरि शंकर जैन ने सोशल मीडिया पर पोस्ट शेयर करते हुए लिखा, ‘‘मैं स्पष्ट रूप से कहना चाहता हूं कि सनातन धर्मी काशी में भालेनाथ की एक इंच भूमि से भी समझौता नहीं करेंगे. यही हो सकता है कि मुसलमान क्षमा मांगे और अपना अवैध कब्जा हटा लें.’’
ज्ञानवापी मस्जिद परिसर सर्वेक्षण मामले में हिंदू पक्ष का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील विष्णु शंकर जैन ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि ज्ञानवापी मस्जिद परिसर सर्वेक्षण मामले में अदालत के बाहर समझौता संभव नहीं है. 23 सीपीसी के आदेश में स्पष्ट प्रावधान है कि जब तक सभी पक्ष सहमत नहीं हो जाते, तब तक कोई समझौता नहीं हो सकता. जो मुद्दे समाज और देश से जुड़े हों, उन पर कोई एक व्यक्ति या पार्टी अकेला समझौता नहीं कर सकता.कोई भी समझौता करें, भले ही वे ऐसा करना चाहें .
हाल ही में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि मुस्लिम समुदाय को यह स्वीकार करना चाहिए कि वाराणसी में ज्ञानवापी स्थल पर ‘एक ऐतिहासिक गलती’ हुई थी और एक ‘समाधान’ प्रस्तावित करना चाहिए. सीएम सोगी आदित्यनाथ ने मीडिया को दिए गए एक साक्षात्कार में कहा था, “अगर हम इसे मस्जिद कहते हैं, तो विवाद पैदा हो जाएगा. हमें इसे ज्ञानवापी कहना चाहिए. यह ज्ञानवापी है. मस्जिद के अंदर त्रिशूल क्या कर रहा है? ”
ज्ञानवापी मामले में सीएम योगी का एक बयान चर्चा में आ गया है. एक एजेंसी से बातचीत में उन्होंने कहा कि ‘मस्जिद कहेंगे तो विवाद होगा. भगवान ने जिसको दृष्टि दी है वो देखे ना. त्रिशूल मस्जिद के अंदर क्या कर रहा है. हमने तो नहीं रखे हैं ना. ज्योर्तिलिंग हैं देव प्रतिमाएं हैं पूरी दीवारें चिल्ला-चिल्ला कर क्या कह रही हैं. और मुझे लगता है कि ये प्रस्ताव मुस्लिम समाज की तरफ से आना चाहिए कि साहब ऐतिहासिक गलती हुई है. उस गलती के लिये हम चाहते हैं समाधान हो
सीएम योगी ने इस विशेष इंटरव्यू में कहा कि देश संविधान से चलेगा, मत और मजहब से नहीं चलेगा. मैं ईश्वर का भक्त हूं लेकिन किसी पाखंड में विश्वास नहीं करता हूं. आपका मत आपका मजहब अपने तरीके से होगा. अपने घर में होगा, अपनी मस्जिद, अपने इबादतगाह तक होगा. सड़क पर प्रदर्शन करने के लिये नहीं और इसको आप जो है किसी भी अन्य तरीके से दूसरे पर थोप नहीं सकते हैं. उन्होंने कहा कि नेशनल फर्स्ट, अगर देश में किसी को रहना है तो उसको राष्ट्र को सर्वोपरी मानना होगा. अपने मत और मजहब को नहीं.
सीएम के बयान के बाद ज्ञानवापी मामले में समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा है कि ज्ञानवापी मस्जिद है इसलिए मामला कोर्ट पहुंचा है. अगर मस्जिद ना होती तो केस कोर्ट में नहीं जाता. 5 वक्त की नमाज वहां अभी भी पढ़ी जा रही है. जबतक कोर्ट का फैसला नहीं आता वो ज्ञानवापी मस्जिद है. सीएम योगी उच्च न्यायालय से बड़े नही हैं.