Jharkhand News: हजारीबाग में बर्बाद हो रही ऐतिहासिक धरोहर, कई हुए खंडहर, देखें Pics

हजारीबाग शहर के बीचोबीज अवस्थित ऐतिहासिक धरोहरों को बचाने की जरूरत है. कई ब्रिटिशकालीन धरोहर देखरेख के अभाव में इनदिनों खंडहर बन गये हैं. जंग-ए-आजादी के गवाह भी रहे हैं ये धरोहर.

By Samir Ranjan | September 13, 2022 3:36 PM
an image

हजारीबाग के ऐतिहासिक धरोहर को बचाने की कोई कोशिश नहीं हो रही है. कई हेरिटेज खंडहर बन गये हैं. कई हेरिटेज को तोड़फोड़. उसके वास्तविक महत्व को समाप्त किया जा रहा है. जिले में ऐसे सैकड़ों धरोहर सम्राट, सुल्तान, बादशाह, राजे-रजवाड़े और ब्रिटिश शासक के कार्यकाल में बने हैं. जंग-ए-आजादी का गवाह भी ये धरोहर हैं. हजारीबाग की वर्तमान युवा पीढ़ी इन धरोहरों से अनजान हैं. वहीं राजनेता, प्रशासनिक अधिकारी और शहर के प्रबुद्ध लोग जानकार भी इसके महत्व को नजरअंदाज कर रहे हैं. प्रमंडलीय शहर हजारीबाग की इन ऐतिहासिक धरोहर का जीर्णोद्धार व बचाकर इसकी पहचान को बरकरार रखी जा सकती है.

हजारीबाग शहर आनेवाले सभी लोगों को प्राइवेट बस स्टैंड के सामने ब्रिटिश कालीन सैनिकों से संबंधित कई भवन खंडहरनुमा दिखाई देंगे. जिसे गेंद घर के नाम से जाना जाता है. जहां ब्रिटिश अधिकारी द्वारा स्क्वैश खेला जाता था. इन अवशेषों का इस्तेमाल वर्तमान में वन विभाग कर रहा है. इसकी वर्तमान स्थित काफी दयनीय है. इसकी रखरखाव के लिए कोई व्यवस्था नहीं की जा रही है. इसकी के पास सटा हुआ एक कुआं बना है. जिसका उपयोग कैंटोमेंट के घोड़ों को पानी पिलाने के लिए किया जाता था. इस कुएं की देखभाल किसी के अधीन नहीं है.

डब्लिन मिशन द्वारा हजारीबाग शहर में स्कूल, कॉलेज, हॉस्पिटल, हॉस्टल और चर्च की स्थापना की गयी थी. इसमे एक चर्चित पुस्ताकलय का भवन खंडहर में तब्दील हो गया है. रखरखाव के अभाव में सभी ऐतिहासिक भवन ढह रहे हैं. ये सारे भवन शहर के मिशन रोड व बस स्टैंड के आसपास ही हैं.

हजारीबाग शहर के हॉलीक्रॉस रोड में कैथोलिक चर्च के सामने ओल्ड ब्रिटिश ग्रेवयार्ड स्थित है. यहां पर 1790 से 1835 के बीच अंग्रेज पदाधिकारियों को दफनाया गया था. इस ग्रेवयार्ड में 1827 ई में ईस्ट इंडिया कंपनी के मेजर जनरल की भी कब्र है. ऐसे शहर के बीचोबीच ऐतिहासिक धरोहर को बेहतर बनाने से देश विदेश के पर्यटकों, शोधार्थी और इतिहास कारों के लिए आकर्षक रहेगा. रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे. जिला प्रशासन की प्राथमिकता में इन सभी धरोहरों को बचाने की जरूरत है.

रिपोर्ट : सलाउद्दीन, हजारीबाग

संबंधित खबर
संबंधित खबर और खबरें
होम E-Paper News Snaps News reels
Exit mobile version