अरुण के भरोसे ही चलता था परिवार
जानकारी के अनुसार, अरुण के भरोसे ही उनके परिवार का भरण-पोषण होता था. घर में माता-पिता के अलावा दो पुत्र व एक पुत्री है. पिता डीवीसी से सेवानिवृत हैं. घर में कमाई का जरिया के नाम पर एक चार पहिया वाहन है. वहीं कृषि के माध्यम से ही उनका परिवार चलता था. अरुण महतो के निधन से परिवार के सामने जीविकोपार्जन की समस्या खड़ी हो गयी है.
1.64 लाख रुपये है बकाया
सरकारी स्तर पर सरकार द्वारा लैम्पस में किसानों से 2050 रुपये क्विंटल की दर से धान का क्रय किया जाता है. उस हिसाब से स्वर्गीय महतो का 1.64 लाख रुपये नहीं मिला है. धान बिक्री के रुपये नहीं मिलने से परिवार में आर्थिक संकट उत्पन्न हो गयी है.
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भाजपा कार्यकर्ताओं ने दिया था धरना
एक वर्ष से किसानों के धान क्रय का पैसा भुगतान नहीं किये जाने का भाजपा कार्यकर्ताओं द्वारा विरोध प्रकट करते हुए खेत-खलिहानों में पिछले दिनों धरना-प्रदर्शन कर किसानों का बकाया राशि का भुगतान करने की मांग की गयी थी. आंदोलन के एक सप्ताह बाद ही धान बिक्री का पैसा मिलने के कारण किसान अरुण महतो की मृत्यु हो गयी.
प्रथम किस्त का हो चुका है भुगतान
यशपुर लैम्पस के प्रभारी सह जनसेवक लिबनुस हांसदा ने बताया कि अरुण ने यशपुर लैम्पस में ही अपने धान की बिक्री किया था. किसानों को दो चरण में पैसा का भुगतान किया जाता है. पहली किस्त का भुगतान हो जाने की जानकारी अरुण महतो द्वारा स्वयं दी गयी थी. वहीं, दूसरी किस्त का भुगतान भी शुरू कर दिया गया है. अधिकांश किसानों का भुगतान हो चुका है. कुछ किसानों का बैंक खाते में त्रुटि होने की वजह से भुगतान नहीं हो पाया है.
केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने हेमंत सरकार पर साधा निशाना
इस मामले पर केंद्रीय मंत्री सह स्थानीय सांसद अर्जुन मुंडा ने दुःख प्रकट करते हुए हेमंत सरकार के कार्यशैली पर सवाल उठाया है. उन्होंने हेमंत सरकार से सवाल पूछा है कि किसान की मौत के लिए जिम्मेदार कौन है? उस पर क्या कार्रवाई हो रही है, ये सीएम हेमंत सोरेन बताएं. श्री मुंडा ने कहा कि पिछले एक साल से किसानों के धान क्रय करने के बाद सरकार उन्हें भुगतान नहीं कर रही है. किसानों के इस मुद्दे को उठाने पर राज्य सरकार पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर भाजपा नेताओं के खिलाफ केस दर्ज कराती है, सरकार को इन अन्नदाताओं के दर्द से कोई लेना-देना नहीं है.
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Posted By : Samir Ranjan.