बीते नौ वर्षों में प्रत्यक्ष कर संग्रहण में 160.52 प्रतिशत की उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई है. केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2013-14 में 6,38,596 करोड़ रुपये की राशि प्रत्यक्ष कर राजस्व के रूप में सरकार के पास आयी थी. वित्त वर्ष 2022-23 में यह आंकड़ा 16,63,686 करोड़ रुपये हो गया. इस अवधि में आयकर रिटर्न भरने वाले लोगों की संख्या भी लगभग दोगुनी हो गयी है. वित्त वर्ष 2013-14 में 3.8 करोड़ लोगों ने रिटर्न भरा था, जबकि 2022-23 में यह संख्या 7.4 करोड़ हो गयी. ये आंकड़े यह इंगित करते हैं कि भारतीय अर्थव्यवस्था का आधार लगातार मजबूत हो रहा है. यह उपलब्धि इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि इसी अवधि में कई देशों की तरह भारत को भी कोरोना महामारी के कहर का सामना करना पड़ा. महामारी तथा भू-राजनीतिक संघर्षों एवं तनावों के कारण आपूर्ति शृंखला प्रभावित होती रही है तथा अंतरराष्ट्रीय बाजार में अनिश्चितता बनी रही है. नोटबंदी के कारण भी कुछ समय तक विभिन्न आर्थिक गतिविधियों पर असर पड़ा था. वस्तु एवं सेवा कर प्रणाली लागू होने से भी कुछ समय के लिए वाणिज्यिक कामकाज प्रभावित हुए थे. फिर भी भारतीय अर्थव्यवस्था सबसे तेज गति से बढ़ती कुछ अर्थव्यवस्थाओं में है. इसका एक बड़ा प्रमाण प्रत्यक्ष कर संग्रहण में वृद्धि के रूप में हमारे सामने है. वित्त वर्ष 2022-23 में सकल घरेलू उत्पादन (जीडीपी) में प्रत्यक्ष करों का हिस्सा 6.11 प्रतिशत रहा था, जो 15 वर्षों में सबसे अधिक योगदान है.
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