जैविक खेती को बढ़ावा दे रहा गिरिडीह का ये किसान, JSPR एग्रो प्रालि के जरिये खुद तैयार कर रहे हैं खाद व DAP

हेमलाल अपने स्टार्टअप के जरिये जैविक पेस्टिसाइड, जैविक डीएपी और खाद तैयार कर रहे हैं, जो न केवल झारखंड बल्कि आस-पास के राज्यों के किसानों के रोजगार बढ़ाने में मदद कर रहा

By Prabhat Khabar News Desk | August 14, 2023 11:37 AM
feature

अभिषेक रॉय, रांची : किसान उत्पादन की होड़ में हाइब्रिड खेती को अपनाने में जुटे हैं. इससे मिट्टी की गुणवत्ता नष्ट हो रही है. साथ ही उत्पादन भी. खेती करने के क्रम में किसान भी बीमार पड़ रहे हैं. इस कारण कई किसानों ने पारंपरिक खेती शुरू कर दी. ऐसे ही किसानों में एक हैं गिरिडीह के जमुआ प्रखंड के गोलहिया गांव के हेमलाल महतो (65 वर्षीय). उन्होंने जैविक खेती को अभियान के रूप में चुना. खेती के क्रम में मिट्टी की उर्वरा शक्ति नष्ट न हो और उत्पादन बढ़े इसके लिए खुद का स्टार्टअप ‘जेएसपीआर एग्रो प्रालि’ की शुरुआत की.

वह अपने स्टार्टअप के जरिये जैविक पेस्टिसाइड, जैविक डीएपी और खाद तैयार कर रहे हैं, जो न केवल झारखंड बल्कि आस-पास के राज्यों के किसानों के रोजगार बढ़ाने में मदद कर रहा हैं. 2018 में स्टार्टअप इंडिया झारखंड यात्रा से जुड़कर हेमलाल ने अपने एग्रीकल्चर इनोवेशन को पेश किया. इसे ज्यूरी ने सराहा और फंडिंग की. इसके बाद से कंपनी बिजनेस-टू-बिजनेस (बी-टू-बी) और बिजनेस-टू-कस्टमर (बी-टू-सी) मॉडल पर मल्टी मिलियन बिजनेस कर रही हैं.

खेत की मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने के लिए हेमलाल ने केचुआ खाद (वर्मी कंपोस्ट) पर प्रयोग शुरू किया. इस क्रम में उन्हें एक खास किस्म का केचुआ ‘आइसीनिया फोटिडा’ मिला, जो अपने शरीर से मात्रा से अधिक यूरिया छोड़ता है.

इससे दानेदार खाद तैयार करना शुरू किया. नतीजतन यह वर्मी कंपोस्ट अन्य की तुलना में जल्दी खराब नहीं होते, साथ ही मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाने में मदद करती है. हेमलाल के इन दोनों शोध को आइआइटी आइएसएम धनबाद से 2019 में इंक्यूबेशन मिला. संस्था के अटल कम्युनिटी इनोवेशन सेंटर में एक टीम तैयार की गयी, जो शोध को पेटेंट दिलाने और जैविक उत्पादों को बाजार में उपलब्ध कराने में मदद कर रही है.

चर्म रोग देख जैविक खेती करने की ठानी

जैविक खेती की प्रेरणा हेमलाल को गांव के ही एक किसान को देखकर मिली. उन्होंने देखा कि रासायनिक खेती के कारण उस किसान के हाथ समेत कई जगहों पर चर्म रोग हो गया था. उन्होंने किसानों के बीच रसायनिक कीटनाशक बंद कराने की ठानी. खुद से जैविक पेस्टिसाइड (कीटनाशक), जो खेत के आस-पास होनेवाले पेड़-पौधे, फूल और पत्ती से तैयार किया गया था.

संबंधित खबर
संबंधित खबर और खबरें
होम E-Paper News Snaps News reels
Exit mobile version