बिरसा के वंशज के पास नहीं हैं अपने पक्के मकान
उलिहातू गांव में जिस मकान में भगवान बिरसा का जन्म हुआ था, उसे पूरी तरह से सजाया जा रहा है. खपरैल मकान की जगह खूबसूरत घर बनकर तैयार है. मकान में बिजली और पानी की पूरी व्यवस्था की गयी है. लेकिन जन्मस्थली के ठीक बगल में बिरसा के वंशजों का टूटा और जर्जर मकान खड़ा है. जिसे देखकर आपका मन दुख से भर जाएगा. बिरसा की जयंती के मौके पर खूंटी से उलिहातू तक सड़कें चमक रही हैं और सड़क किनारे के घरों को रंगकर खूबसूरत बना दिया गया है, लेकिन कहा जाता है न कि चिराग तले अंधेरा. बिरसा के वंशज जहां रहते हैं, उनके घर को उसी हाल में छोड़ दिया गया, रंगाई-पोताई कराने की कोशिश भी नहीं की गयी. बल्कि जर्जर हालत में ही छोड़ दिया गया. दीवार पुरानी हो चुकी है. खपरैल मकान में 17 से 18 लोग एक साथ रहने के लिए मजबूर हैं. उनके वंशजों ने बताया कि नेता-मंत्री तो यहां आते हैं, लेकिन उनसे अबतक केवल आश्वासन ही मिला है. कई बार लिखित देने के बाद भी पक्का मकान नहीं बन पाया. घर में एक शौचालय है, वो भी स्वच्छ भारत अभियान के तहत बनाया गया है. पानी के लिए आंगन में एक पानी की टंकी ( 250 लीटर वाला), जिसमें नल लगा हुआ है. घर के पीछे की दीवार पर पत्थर निकल आये हैं.
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शहीद के नाम पर परिवार के दो लोगों को मिली नौकरी
शहीद के नाम पर बिरसा मुंडा के दो प्रपौत्र को नौकरी मिली है. वो भी फोर्थ ग्रेड की नौकरी मिली है. बिरसा मुंडा के पौत्र सुखराम मुंडा की पुत्र वधू ने बताया, नौकरी से उनके पति को इतनी सैलरी नहीं मिलती, जिससे घर की स्थिति को ठीक कराया जाय. बच्चों की पढ़ाई और घर चलाना मुश्किल हो जाता है.
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से है बड़ी उम्मीदें
बिरसा मुंडा के वंशजों को देश की पहली आदवासी महिला राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से बड़ी उम्मीदें हैं. बिरसा मुंडा के पौत्र की पुत्र वधू ने कहा, जब राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू उनसे मिलेंगी, तो उनसे सबसे पहले पक्का मकान बनवाने के लिए आग्रह करूंगी. उन्होंने कहा, द्रौपदी मुर्मू भी एक महिला हैं इस नाते महिला का दर्द जरूर समझेंगी.