Jharkhand News: दलमा वाइल्ड लाइफ सेंचुरी में हथिनी ‘रजनी’ का मना बर्थडे, कटा 10 पाउंड का केक, देखें Pics
सरायकेला के दलमा वाइल्ड लाइफ सेंचुरी में हथिनी 'गजनी' का 12वां जन्मदिन मनाया गया. इस दौरान 10 पाउंड का केक काटा गया, वहीं स्कूली बच्चों समेत वन कर्मियों ने गाना भी गाया. जानवरों का बर्थडे मनाने का उद्देश्य लोगों में जंगली जानवरों के प्रति जागरूक करना है.
By Prabhat Khabar Digital Desk | October 8, 2021 4:25 PM
Jharkhand News (हिमांशु गोप, चांडिल, सरायकेला) : झारखंड के सरायकेला- खरसावां जिला अंतर्गत चांडिल के दलमा वाइल्ड लाइफ सेंचुरी में हथिनी ‘रजनी’ का 12वां जन्मदिन मनाया गया. इस दौरान हथनी रजनी के जन्मदिन पर 10 पाउंड का केक भी काटा गया. इस दौरान वन कर्मी व स्कूली बच्चों ने हैप्पी बर्थडे रजनी का गाना भी गाया.
इस मौके पर दलमा पश्चिमी रेंजर दिनेश चंद्रा ने कहा कि हर साल 7 अक्टूबर को दलमा चेकनाका माकूलाकोचा में हथिनी रजनी का जन्मदिन मनाया जाता है. इससे लोगों में एक अच्छा संदेश जाता है कि जब हम अपने घर के बच्चों का जन्मदिन मना सकते हैं, तो वन्य प्राणी का क्यों नहीं. इसका मुख्य उद्देश्य लोगों में जंगली जानवरों के प्रति जागरूक करना है.
रेंजर दिनेश चंद्र ने स्कूली बच्चों के बीच वन्यजीवों से बचाव एवं उनका संरक्षण व वन सुरक्षा कैसे किया जाये, इससे संबंधित प्रसार पुस्तिका बच्चों के बीच वितरण किया गया. उन्होंने कहा कि रजनी के जन्मदिन को लेकर वन विभाग यह संदेश देना चाहता है कि जानवर भी पृथ्वी के लिए महत्वपूर्ण है और उनका भी अपना महत्व है. इसी संदेश को ध्यान में रखकर जन्मदिन मनाया जाता है. कोशिश है कि इससे दूसरे भी सीख लें और जानवरों की संरक्षा और सुरक्षा संदेश देने के लिए इसे आत्मसात करें.
झुंड में रहने वाली मादा हाथी रजनी हाथियों की झुंड से बिछड़ कर ईचागढ़ प्रखंड के पीलीद गांव के पास एक गड्ढे में फंसी मिली थी. वन विभाग ने घायलावस्था में उसे निकाल कर टाटा जू लाया था. जहां काफी दिनों तक रजनी का इलाज हुआ. जब रजनी ठीक हो गयी, तो उसे दलमा वन्यप्राणी आश्रयणी, माकूलाकोचा लाया गया.
दलमा के मकुलाकोचा चेकनाका में बकायदा इस हाथिनी का नामकरण रजनी के रूप में किया गया. उसी समय से रजनी का जन्मदिन धूमधाम से मनाया जा रहा है. रजनी हाथिनी पर्यटकों के साथ भी काफी घुल-मिल गयी है. रजनी का जन्मदिन मनाने के लिए दलमा वन आश्रयणी के कर्मचारियों के साथ ही माकूलाकोचा के ग्रामीण भी शामिल थे.