Jharkhand News : कास के फूल से लहलहाते सरायकेला-खरसावां के कई इलाके, मागे नृत्य में होता है उपयोग
वर्षा ऋतु के समापान और शरद ऋतु के आगमन को दर्शाते कास के फूल से सरायकेला-खरसावां जिले के कई इलाके इन दिनों पट गये हैं. सफेद रंग में लहलहाते इस पौधों के फूल लोगों को बरबस अपनी ओर आकर्षित कर रहे हैं. इस फूल का उपयोग मागे नृत्य में भी होता है.
By Prabhat Khabar Digital Desk | September 23, 2021 3:36 PM
Jharkhand News (शचिंद्र कुमार दाश, सरायकेला) : सरायकेला-खरसावां जिला के पहाड़ी क्षेत्र, नदी- तालाब के तट, खेतों के मेढ़ों से लेकर बांध, पोखर, पगडंडियां इस समय कास के फूलों से सजकर इतराते रहे हैं. बलखाते कांस के फूल लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर रहे हैं. चारागाह की जमीन हो, खेतों के मेड़ हो, गांवों की पगडंडियां हों या जलाशयों के किनारा हो जैसे सबने कास के घास और फूलों का तोरणद्वार तैयार कर रखा है.
हरियाली की चादर में टांके गये कास के सफेद फूलों का गोटा प्रकृति की अपने अनुपम शृंगार की सुंदर झलक है. मानों धरा पर अब श्वेताभ और हरीतिमा दो रंग ही शेष बच गये हैं. यही रंग उत्सव का है. चहुंओर खुशी का है. खुशहाली का है. यही दो रंग में धन, धान्य, वैभव, शांति और उन्नति का भाग्य निहित है. बड़ी संख्या में लोग इन कास के फूलों के साथ फोटो सेशन भी कर रहे हैं.
अमूमन देखा जाता है कि कास के ये फूल सितंबर के अंतिम सप्ताह से लेकर अक्टूबर के पहले सप्ताह में उगते हैं, लेकिन इस साल जून के अंतिम सप्ताह से हो रही बारिश के कारण काश के ये फूल इस वर्ष समय से पहले ही उग आये हैं.
कास का फूल वर्षा ऋतु के समापन और शरद ऋतु के आगमन का संकेत दे रहे हैं. कास के ये फूल नवरात्र के जल्द आने का संदेश दे रहे हैं. शारदीय उत्सव के शुरू के पूर्व ही कास या कांस के फूलों के जंगल अपनी परिपक्वता को पा चुके होते हैं. अब तक थोड़े थोड़े आरम्भ हो चुके शीत के हल्के बयार के साथ ही कास के जंगल में रह रहकर उठता स्पंदन, मानों मां के आगमन और उनके स्वागत के लिए कोई पूर्वाभ्यास में जुटा हो. दुर्गापूजा में कास के फूलों को विशेष महत्व है. कहा जाता है कि कास के फूलों से शुद्धता आती है.
झारखंड में कास के फूल उत्सव व परंपराओं का साक्षी बनते आये हैं. जंगलों-पठारों में कास का फूलना मतलब कई उत्सवों के आगमन का संकेत है. बुरु (पहाड़ देवता) के पूजा में कास के फूलों का महात्म्य है. हो समुदाय का सबसे बड़ा त्योहार मागे पर्व में नृत्य के दौरान भी कास के फूलों का उपयोग होता है. सितंबर के माह में भी कास के फूलों को कागज में लपेट कर रखा जाता है और मागे नृत्य के दौरान इसका इस्तेमाल कर उड़ाया जाता है.