Jharkhand News : आकर्षक डिजाइन में सरायकेला- खरसावां की तसर सिल्क साड़ियां देश-विदेश में धूम मचाने को तैयार

झारखंड के सरायकेला-खरसावां जिला का तसर सिल्क साड़ी देश-विदेश में धूम मचाने को तैयार है. आकर्षक डिजाइन के कारण लोगों को खूब लुभा रहा है. सीएम हेमंत सोरेन और केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा के सहयोग से जहां इसे बेहतर बाजार मिल रहा है, वहीं कारीगरों को रोजगार भी उपलब्ध हो रहा है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 21, 2021 10:36 PM
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Jharkhand News (शचिंद्र दाश, सरायकेला) : झारखंड राज्य खादी बोर्ड अब तसर रेशम की साड़ियां भी बनाने लगा है. झारखंड के रेशम के धागों को पिरोकर अब उससे खूबसूरत साड़ियां बनायी जा रही है. पहली बार झारखंड के तसर से राज्य में ही वस्त्र निर्माण का कार्य शुरू हुआ है. इसके उत्पादन के साथ ही यहां की तसर सिल्क साड़ियां देश-विदेश में धूम मचाने को तैयार है.

बता दें कि पहले झारखंड सिर्फ तसर का उत्पादन करता था. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के आदेश के बाद झारखंड राज्य खादी बोर्ड के चांडिल स्थित उत्पादन और प्रशिक्षण केंद्र में पहली बार तसर साड़ियों का उत्पादन शुरू हुआ है. ये साड़ियां गुणवत्ता में काफी अच्छी मानी जा रही है. वहीं, केंद्र में जनजातीय मामलों के मंत्री अर्जुन मुंडा भी तसर सिल्क साड़ियों के उत्पादन को लेकर काफी प्रयासरत दिखे. राज्य सरकार से समन्वय स्थापित कर ट्राइफेड के माध्यम से बाजार उपलब्ध कराने पर भी जोर रहा.

चांडिल के केंद्र में तसर धागों की बुनाई और फिर उसकी डिजाइनिंग तक का काम किया जा रहा है. अभी उत्पादन सीमित मात्रा में है, लेकिन धीरे-धीरे इसका उत्पादन बढ़ाने की योजना है. बोर्ड अब आमदा और कुचाई के प्रशिक्षण और उत्पादन केंद्रों में भी साड़ियों के उत्पादन पर फोकस कर रहा है.

इससे राज्य के बुनकरों को रोजगार और झारखंड में बनी साड़ियों को बाजार मिलेगा. चांडिल प्रशिक्षण एवं उत्पादन केंद्र से बुनकरों को एक साड़ी बनाने में करीब तीन दिन लग रहा है. इन साड़ियों की डिजाइन आकर्षक है. मालूम हो कि झारखंड के कुचाई क्षेत्र का तसर गुणवत्ता में सबसे बेहतर माना गया है. यहां पर इन तसर के धागों का उपयोग साड़ी बनाने में किया जा रहा है.

चांडिल प्रशिक्षण एवं उत्पादन केंद्र के प्रभारी सुनील कहते हैं कि बुनकरों को एक साड़ी बनाने में तकरीबन तीन दिन का समय लग रहा है. इन साड़ियों के डिजाइन भी काफी आकर्षक हैं. शिल्पी रोजगार योजना के तहत कई महिलाओं को सिलाई मशीन भी प्रदान किया गया है.

खादी बोर्ड द्वारा साड़ियों का उत्पादन शुरू करने और इसके लिए महिलाओं को प्रशिक्षण देने से महिला सशक्तीकरण को बढ़ावा मिलेगा. कोरोना संक्रमण के दौरान महिलाएं घर से काम कर रहीं थीं. इससे उन्हें आगे बढ़ने में काफी लाभ मिला.

चांडिल खादी बोर्ड के अंतर्गत आने वाले चांडिल स्थित तसर कताई एवं बुनाई प्रशिक्षण सह उत्पादन केंद्र द्वारा तसर की साड़ी का उत्पादन कर गत जून-जुलाई माह में सीएम श्री सोरेन के पास भेजा गया था. सीएम को यह साड़ी काफी पसंद आयी थी. इसके बाद उन्होंने यहीं साड़ी उत्पादन को बड़े पैमाने पर शुरू करने का फैसला किया और अब यह काम काफी तेजी से आगे बढ़ रहा है.

तसर की यह साड़ी पूरी तरह यहां के ककून से तसर धागा निकालने कर तैयार की जा रही है. खास बात यह है कि ककून भी यहीं पैदा होता है और उसे यहीं प्रोसेसिंग कर धागा निकाला जाता है. कारीगरों का कहना है कि यह साड़ी ठंड में भी लाभदायक है, क्योंकि ठंड असर नहीं करता है, वहीं गर्मी में भी लू से बचाता है. अब पूरे झारखंड के साथ ही देश और विदेश में साड़ी बेचने की दिशा में पहल की जा रही है.

पिछले माह राष्ट्रीय हस्तकरघा दिवस पर झारखंड राज्य खादी व ग्रामोद्योग बोर्ड द्वारा पहली बार निर्मित साड़ी का लांच भी किया था. बोर्ड के सीईओ राखाल चंद्र बेसरा ने खादी बोर्ड के साढ़ी की लांचिंग की. हैंडलूम साड़ी में डिजिटल प्रिंट कर उसे आकर्षक रूप दिया गया है. वहीं, बोर्ड के बुनकरों द्वारा निर्मित यह साढ़ी खादी बोर्ड के सभी आउटलेट में उपलब्ध होंगी. मालूम हो कि कुचाई, मरांगहातु, खरसावां के आमदा खादी पार्क व चांडिल में खादी बोर्ड की ओर से खोले गये केंद्रों में बुनकरों द्वारा कपड़ों का उत्पादन होता है. यहां से निर्मित कपड़ों की देश-विदेश में भारी मांग है.

इस संबंध में झारखंड राज्य खादी व ग्रामोद्योग बोर्ड के मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी राखाल चंद्र बेसरा ने कहा कि चांडिल, खरसावां व कुचाई में कोकून से धागा निकालने व कपड़ों के थान बनाने का काम होता है. यहां का तसर सिल्क अपनी श्रेष्ठ गुणवत्ता के लिए जाना जाता है. उत्पादन को बढ़ाने के प्रयास किये जा रहे हैं. खादी बोर्ड द्वारा चांडिल में साढ़ी बनाने का कार्य शुरू किया गया है. यहां तैयार किये गये साड़ी की काफी मांग है.

Posted By : Samir Ranjan.

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