Katyayani Mata Ki Aarti: जय जय अम्बे जय कात्यायनी, जय जग माता… नवरात्रि ऐसे करें मां कात्यायनी की पूजा आरती
Maa Katyayani Ji Ki Aarti : शारदीय नवरात्रि के छठे दिन मां दुर्गा के स्वरूप मां कात्यायनी की विधि विधान से आराधना की जाती है. मान्यता है कि मां कात्यायनी की पूजा करने से व्यक्ति को अपनी इंद्रियों को वश में करने की शक्ति प्राप्त होती है.. जानें इनकी पूजा विधि मंत्र और आरती
By Meenakshi Rai | October 5, 2024 12:14 PM
Maa Katyayani Ki Aarti :शारदीय नवरात्रि के छठे दिन मां दुर्गा के मां कात्यायनी स्वरूप की विधि विधान से उपासना की जाती है. राक्षस महिषासुर के आतंक को समाप्त करने के देवी माता ने मां कात्यायनी का रूप धारण किया था. अगर विधि-विधान से इनकी पूजा करते हैं तो आपकी कुंडली में गुरु की स्थिति मजबूत होती है. इन्हें लाल रंग के फूल या गुलाब बेहद पसंद होता है. मां कात्यायनी की पूजा से शक्ति, सफलता, प्रसिद्धि का वरदान प्राप्त होता है. कहा जाता है कि देवी ने ही असुरों से देवताओं की रक्षा की थी. मां ने महिषासुर का वध किया था और उसके बाद शुम्भ और निशुम्भ का भी वध किया था. सिर्फ यही नहीं, सभी नौ ग्रहों को उनकी कैद से भी छुड़ाया था. जानें मां कात्यायनी की पूजा विधि, मंत्र जाप, प्रार्थना, स्तुति, स्त्रोत और आरती….
मां कात्यानी की पूजा का महत्व : मां कात्यायनी ने महिषासुर नाम के असुर का वध किया था. जिस कारण मां कात्यायनी को दानवों, असुरों और पापियों का नाश करने वाली देवी कहा जाता है. ऐसी मान्यता है कि मां कात्यायनी की पूजा करने से व्यक्ति को अपनी इंद्रियों को वश में करने की शक्ति प्राप्त होती है. इनकी आराधना से गृहस्थ जीवन सुखमय रहता है. मां दुर्गा के छठवें रूप की पूजा से राहु और कालसर्प दोष से जुड़ी परेशानियां दूर हो जाती हैं.
मां कात्यायनी का स्वरूप : मां कात्यायनी का स्वरूप अत्यंत भव्य और दिव्य है. माता स्वर्ण के समान चमकीली हैं. इनकी चार भुजाएं हैं. दाईं तरफ का ऊपर वाला हाथ अभयमुद्रा में है तथा नीचे वाला हाथ वर मुद्रा में. मां के बाईं तरफ के ऊपर वाले हाथ में तलवार है व नीचे वाले हाथ में कमल का फूल सुशोभित है. मां कात्यायनी का वाहन सिंह है.
मां कात्यायनी की कैसे करें पूजा :
सबसे पहले सुबह जल्दी उठकर स्नानादि करके साफ- स्वच्छ कपड़े पहनें
मां दुर्गा की प्रतिमा को गंगाजल से शुद्ध करें
माता को पीले रंग का वस्त्र अर्पित करें.
माता को पुष्प अर्पित करें.
देवी मां को रोली और कुमकुम लगाएं.
देवी भगवती को पांच प्रकार के फल और मिष्ठान चढ़ाएं
मां कात्यायनी को पूजा में शहद का भोग जरूर लगाएं.
इनको शहद अर्पित करना विशेष शुभ होता है. – मां को सुगन्धित पुष्प अर्पित करने से शीघ्र विवाह के योग बनेंगे साथ ही प्रेम सम्बन्धी बाधाएं भी दूर होंगी.
मां कात्यायनी की पौराणिक कथा: मां दुर्गा के इस स्वरूप की प्राचीन कथा इस प्रकार है कि एक प्रसिद्ध महर्षि जिनका नाम कात्यायन था, उन्होंने भगवती जगदम्बा को पुत्री के रूप में पाने के लिए उनकी कठिन तपस्या की. कई हजार वर्ष कठिन तपस्या के पश्चात् महर्षि कात्यायन के यहां देवी जगदम्बा ने पुत्री रूप में जन्म लिया और कात्यायनी कहलायीं. ये बहुत ही गुणवंती थीं. इनका प्रमुख गुण खोज करना था. इसीलिए वैज्ञानिक युग में देवी कात्यायनी का सर्वाधिक महत्व है.मां कात्यायनी अमोघ फलदायिनी हैं. इस दिन साधक का मन आज्ञा चक्र में स्थित रहता है. योग साधना में इस आज्ञा चक्र का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है. इस दिन जातक का मन आज्ञा चक्र में स्थित होने के कारण मां कात्यायनी के सहज रूप से दर्शन प्राप्त होते हैं। साधक इस लोक में रहते हुए अलौकिक तेज से युक्त रहता है.
मां कात्यायनी का मंत्र
ॐ देवी कात्यायन्यै नमः॥
मां कात्यायनी की प्रार्थना
चन्द्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहना।
कात्यायनी शुभं दद्याद् देवी दानवघातिनी॥
मां कात्यायनी की स्तुति
या देवी सर्वभूतेषु माँ कात्यायनी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
(Ya Devi Sarvabhuteshu Ma Katyayani Rupena Samsthita।