Lata Mangeshkar Death Anniversary: सुर सम्राज्ञी’ लता मंगेशकर की ये ख्वाहिश रह गई अधूरी, खुद किया था खुलासा

'सुर सम्राज्ञी' लता मंगेशकर का कल यानी 6 फरवरी को पुण्यतिथि है. उनकी खनकती आवाज आज भी करोड़ों फैंस के दिलों में जिंदा है. फैंस उन्हें आज याद कर रहे हैं और लगातार उनके नाम सोशल मीडिया पर पोस्ट शेयर कर रहे हैं. आपको आज बताते हैं उनकी एक ख्वाहिश के बारे में जो अधूरी रह गई.

By Divya Keshri | February 5, 2024 11:36 AM
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6 फरवरी को ‘सुर सम्राज्ञी’ लता मंगेशकर की पुण्यतिथि है. इसी दिन वो हमें छोड़कर चली गई थी. उनका 92 साल की उम्र में निधन हो गया था. वह देश की सबसे बड़ी संगीत हस्तियों में से एक थीं.

लता मंगेशकर की मधुर आवाज आज भी फैंस के दिलों में जिंदा है. उनका संगीत का सफर काफी खूबसूरत और यादगार रहा, लेकिन उन्हें उनकी एक ख्वाहिश अधूरी रह गई.

यतींद्र मिश्र की किताब ‘लता: सुर गाथा’ में जिक्र किया गया है कि लता मंगेशकर को शास्‍त्रीय संगीत में नाम कमाने की तमन्‍ना अधूरी रह गई. बकौल किताब, लता मंगेशकर कहती हैं,’ अगर मैं रियाज करती, बैठकर तसल्‍ली से गाया होता, तो शास्‍त्रीय गायिका बन सकती थी.’ उन्‍हें कहीं ने कहीं इत्‍मीनान से रियाज ने करने का दुख है.

लता मंगेशकर की सबसे बड़ी ख्‍वाहिश थी कि वह उस्‍ताद बड़े गुलाम अली ख़ा की तरह गा सकें. वहीं, ‘सुर सम्राज्ञी’ सुप्रसिद्ध पार्श्‍व गायक और अभिनेता कुंदनलाल सहगल की बहुत बड़ी फैन थी और उनसे ना मिल पाने का अफसोस था.

लता मंगेशकर के कुछ अविस्मरणीय गीतों में ‘लग जा गले’, ‘मोहे पनघट पे’, ‘होठों में ऐसी बात’, ‘चलते चलते’, ‘सत्यम शिवम सुंदरम’, ‘पानी पानी रे’, ‘अजीब दास्तां है’, प्यार किया तो डरना क्या’, ‘नीला आसमान सो गया’ शामिल हैं.

लता मंगेशकर ने करीब 30,000 से ज्‍यादा गाने गाये हैं जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है. उन्हें कई फिल्म पुरस्कार और सम्मान से नवाजा जा चुका है, जिसमें पद्म भूषण, पद्म विभूषण, दादा साहेब फाल्के पुरस्कार और विभिन्न राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार शामिल है.

लता मंगेशकर ने अंग्रेजी, रूसी, डच, नेपाली और इंडोनेशियाई गानों में भी अपनी आवाज दी थी. उनके गाए गाने को आज भी लोग और फैंस याद रखे हुए है.

लता मंगेशकर को फोटोग्राफी का शौक था. उन्होंने पहली बार रोलीफ्लेक्स कैमरे के साथ प्रयोग किया और अमेरिका में छुट्टियों के दौरान तस्वीरें खींची थी.

भारतीय संगीत उद्योग में उनके योगदान के कारण उन्हें “क्वीन ऑफ मेलोडी”, “वॉयस ऑफ द मिलेनियम” और “नाइटिंगेल ऑफ इंडिया” जैसी उपाधियां मिलीं थी.

लता मंगेशकर ने एक बार एक इंटरव्यू में खुलासा किया था कि वो अपने गाए गाने नहीं सुनती. अगर वो सुनती है उन्हें अपनी गायकी में सैकड़ों खामियां दिखती है.

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