मां को खोया तो सर्राफ कारोबारियों ने घर में स्थापित कर दी मां की चांदी की मूर्ति, रोजाना बैठकर करते हैं याद

Mother's Day 2023: मातृ दिवस पर हर कोई अपनी मां को याद कर रहा है. मां को भगवान की तरह पूज रहा है. आगरा के दो सर्राफ कारोबारियों ने भी मां की याद में उनकी चांदी की मूर्ति बनवाई है. उसकी रोजाना पूजा करते हैं.

By अनुज शर्मा | May 14, 2023 4:22 PM
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आगरा. मां को कोई भूलता नहीं है. उसे सभी याद करते हैं. आगरा के दो सर्राफ कारोबारियों ने अपनी मां की याद में उनकी छवि को चांदी की मूर्ति में ढाल दिया है. कमरे में रखी मां की ये मूर्ति पूरे परिवार को एहसास दिलाती है कि,मां यहीं कहीं है. आज मातृ दिवस पर इन दो बेटों का हर कोई उदाहरण दे रहा है. कि कैसे उन्होंने अपनी मां से अटूट बंधन को उनके निधन के बाद भी मजबूत बनाए रखा है. कोरोना की दूसरी लहर में दो सर्राफा व्यवसाई बेटों ने मां को खो दिया था. मां के स्वरूप की चांदी की मूर्ति घर में उसी जगह स्थापित की हैजहां उनकी मां बैठा करती थी.दोनों भाई रोजाना कुछ समय अपनी मां की मूर्ति के साथ बिताते हैं.

कोरोना में हो गया था मां का निधन, 5 किलो चांदी से बनी मूर्ति

आगरा के बलकेश्वर क्षेत्र की सीता नगर कॉलोनी के रहने वाले मनीष बंसल और रिंकू बंसल सर्राफा व्यवसाई हैं. दोनों भाई बंसल पायल के नाम से व्यापार चलाते हैं. कोरोना की दूसरी लहर में 30 अप्रैल 2021 को इनकी मां लक्ष्मी देवी का निधन हो गया था. दोनों बेटे मां से बहुत प्यार करते थे और जब भी अपने काम से वापस आते थे तो मां के पास बैठकर कुछ समय जरूर बिताते थे. मां के निधन होने के बाद परिवार में दोनों भाइयों को अपनी मां की कमी काफी खलने लगी. ऐसे में उन्होंने कर्नाटक की एक कंपनी को अपनी मां की चांदी की मूर्ति बनाने का ऑर्डर दिया. मनीष बंसल और रिंकू बंसल बताते हैं कि करीब 3 महीने में मां (लक्ष्मी देवी ) की मूर्ति बनकर तैयार हुई. करीब 5 किलो की मूर्ति में ₹500000 लाख का खर्चा आया. मूर्ति घर आई और अब दोनों भाइयों ने उस मूर्ति को वहीं पर रखा है जहां उनकी मां बैठा करती थी.

मूर्ति देती है मां के आसपास होने का एहसास

मनीष बंसल और रिंकू बंसल रोजाना अपनी मां की मूर्ति के साथ समय बिताते हैं और उनके साथ बिताए पलों को याद करते हैं. साथ ही दोनों भाई अपनी मां की मूर्ति के आगे रोजाना पूजा पाठ भी करते हैं. उनका कहना है कि हमारी मां भले ही हमारे साथ नहीं है लेकिन उनकी मूर्ति हमें पल-पल उनकी याद दिलाती है और उनके होने का एहसास भी कराती है.

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