नंदीग्राम के लोग वोट देना चाहते हैं, ममता बनर्जी और शुभेंदु अधिकारी को टक्कर देने पहुंचीं CPM की मीनाक्षी मुखर्जी का Exclusive इंटरव्यू

Hot Seat Nandigram: पश्चिम बंगाल की सबसे हॉट सीट. नंदीग्राम. कई मायने में नंदीग्राम इस बार अन्य विधानसभा क्षेत्रों से अलग है. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी खुद यहां से चुनाव लड़ रही हैं. ममता बनर्जी की कैबिनेट के सबसे पावरफुल नेताओं में से एक शुभेंदु अधिकारी इस बार ममता बनर्जी के खिलाफ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं.

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 25, 2021 1:59 PM
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पश्चिम बंगाल की सबसे हॉट सीट. नंदीग्राम. कई मायने में नंदीग्राम इस बार अन्य विधानसभा क्षेत्रों से अलग है. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी खुद यहां से चुनाव लड़ रही हैं. ममता बनर्जी की कैबिनेट के सबसे पावरफुल नेताओं में से एक शुभेंदु अधिकारी इस बार ममता बनर्जी के खिलाफ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं.

तृणमूल और भाजपा हेवीवेट नेताओं के मुकाबले संयुक्त मोर्चा (कांग्रेस-लेफ्ट-आइएसएफ का गठबंधन) की ओर से मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने डीवाईएफआइ की 36 साल की छात्र नेता मीनाक्षी मुखर्जी को मैदान में उतारा है. प्रभात खबर से बातचीत में मीनाक्षी मुखर्जी ने नंदीग्राम की समस्या, माकपा की गलतियों और तृणमूल कांग्रेस की ज्यादती पर भी खुलकर अपने विचार रखे. यह भी बताया कि ममता और शुभेंदु से कैसे लोहा लेंगी. मीनाक्षी मुखर्जी से मिथिलेश झा की एक्सक्लूसिव बातचीत के मुख्य अंश यहां पढ़ें…

भूमि अधिग्रहण के खिलाफ आंदोलन करने वाले नंदीग्राम की आज क्या स्थिति है? वर्ष 2011 और 2021 के नंदीग्राम को आप किस रूप में देखती हैं?

नंदीग्राम के लोगों की बात सुनने के लिए आज न तो तृणमूल कांग्रेस के पास वक्त है, न ही भाजपा के लोगों के पास. नंदीग्राम के लोग क्या जानना चाहते हैं, क्या बताना चाहते हैं, क्या काम करना चाहते हैं, यह सुनने का वक्त न तो सरकार के पास है, न ही सरकार में लंबे अरसे तक रहे भाजपा में शामिल हुए व्यक्ति के पास. नंदीग्राम की जनता अपनी बात कहना चाहती है. अपनी बात बताना चाहती है. इसलिए वह वोट देना चाहती है.

इस चुनाव में नंदीग्राम के मुद्दे क्या हैं?

बेरोजगारों को नौकरी मिले, किसानों को उसकी फसल का उचित मूल्य मिले, लोगों को अपनी जमीन का अधिकार मिले और मां-बहनों को सम्मान मिले. नंदीग्राम यही चाहता है. 10 साल तक इस नंदीग्राम में जम्हूरियत नाम की कोई चीज नहीं थी. वोटिंग का अधिकार लोगों के पास नहीं था. यहां के लोग 10 साल तक मतदान नहीं कर पाये. इस बार सभी वोट देना चाहते हैं.

आपका आरोप बेहद गंभीर है. जब यहां लोगों ने मतदान नहीं किया, तो जनप्रतिनिधि कैसे चुने गये? सरकारें कैसे बनीं?

लोगों को डराया-धमकाया गया. यहां इलेक्शन नहीं हुआ. सेलेक्शन हुआ. लोगों को बूथ पर जाने से रोका गया. बूथ तक पहुंचे लोगों को डरा-धमकाकर वापस भेज दिया गया. उन्हें अपने मताधिकार का इस्तेमाल नहीं करने दिया गया. ये मैं नहीं कह रही. पंचायत में जाकर लोगों से बात करेंगे, तो आपको असलियत का पता चल जायेगा. औरतों, बुजुर्गों से बात करेंगे, तो वे आपको बतायेंगे कि नंदीग्राम की क्या हालत है. इन लोगों ने नंदीग्राम की जनता और यहां की मिट्टी का अपमान किया है.

माकपा से 2007 में ऐसी क्या गलती हो गयी, जिसकी वजह से उसकी 34 साल पुरानी सरकार हार गयी?

चिट फंड का पैसा. ढकोसला और धांधली करने वाले किसानों के कुछ कथित हिमायती सामने आ गये. माओवादी और तृणमूल कांग्रेस ने नंदीग्राम की जनता के साथ-साथ यहां की मिट्टी, माकपा और राज्य की सरकार का अपमान किया. नंदीग्राम में जो कुछ भी हुआ, उसके लिए बुद्धदेव भट्टाचार्य ने खुद अपनी भूल स्वीकार की थी.

नंदीग्राम के लोगों की जमीन हड़प ली गयी. आज यहां के लोग अन्य राज्यों में जाकर नौकरी करने के लिए मजबूर हैं. सीटेट, एसएससी की परीक्षाएं नहीं हुईं. जहां भी परीक्षाएं हुईं, वहां सिर्फ घोटाला हुआ. तृणमूल के नेता खुद कह रहे हैं कि उन्होंने घोटाले किये हैं. उन्होंने अपनी बेटी और बीवी को नौकरी दी. यहां चोरों, लुटेरों और घोटालेबाजों ने खुद अपनी पोल खोल दी है. नंदीग्राम के लोग लोग अपने खेतों में उपजने वाली फसल का उचित मूल्य चाहते हैं. मां-बहनों का सम्मान चाहते हैं. वे वोट देना चाहते हैं.

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और शुभेंदु अधिकारी जैसे हेवीवेट नेता के मुकाबले माकपा ने आपको ही क्यों उतारा?

ममता बनर्जी और शुभेंदु अधिकारी दोनों हेवीवेट नेता हैं. जाने-माने नेता हैं. प्रसिद्ध नेता हैं. दोनों लोगों को पीटने के लिए हेवीवेट हैं. बेरोजगारों का रोजगार छीनने वाले हेवीवेट लोग हैं ये दोनों. लोगों का हक छीनने में ये लोग माहिर हैं. भ्रष्टाचार, घोटाला और चोरी करने में ये लोग हेवीवेट हैं. सारधा-नारदा में रिश्वत लेने वाले लोग हैं ये.

माकपा किसी व्यक्ति में कोई गुण अलग से नहीं देखती. 2007 के बाद से माकपा के कार्यकर्ताओं को नंदीग्राम में काफी कुछ सहना पड़ता है. भुगतना पड़ा है. 2011 के बाद से अब तक काफी संख्या में माकपा के लोग बेघर हुए हैं. उनके घर जलाये गये हैं. कार्यकर्ताओं की हत्या की गयी है. उनसे मुआवजा वसूला गया है. लेकिन, माकपा ने नंदीग्राम का साथ नहीं छोड़ा. नंदीग्राम की जनता की लड़ाई एक बार फिर सीपीएम पार्टी लड़ रही है. नंदीग्राम की लड़ाई सिर्फ कॉमरेड ही लड़ेंगे. इसलिए पार्टी ने मुझे यहां उम्मीदवार बनाया है.

Posted By : Mithilesh Jha

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