दुर्गा जी की आरती: जय अम्बे गौरी, मैया जय अम्बे गौरी… चैत्र नवरात्रि पर पढ़ें Durga Ji Ki Aarti…

Navratri Starts, Ashadha Navratri 2025 Durga Ji Ki Aarti: आषाढ़ गुप्त नवरात्रि 2025 की शुरुआत आज, 26 जून से हो रही है और इसका समापन 4 जुलाई को होगा. इस बार यह पावन पर्व पूरे नौ दिनों तक श्रद्धा और आस्था के साथ मनाया जाएगा. ऐसे में मां दुर्गा की आरती, जय अम्बे गौरी मैया जय अम्बे गौरी का पाठ शुभफल देगा.

By Shaurya Punj | July 25, 2025 3:46 PM
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Durga Ji Ki Aarti: गुप्त नवरात्रि पूरे नौ दिनों तक श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाई जाएगी, जिसमें मां दुर्गा की दस महाविद्याओं की विशेष आराधना की जाएगी. आपको बता दें नवरात्र के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जा रही है. नवरात्रि में प्रतिदिन पूजा के बाद मां दुर्गा की आरती अनिवार्य मानी जाती है. यही नहीं, आम दिनों में भी पूजा के दौरान इस आरती की जरूरत पड़ सकती है. ऐसे में मां दुर्गा की आरती, जय अम्बे गौरी मैया जय अम्बे गौरी की वीडियो, टेक्स्ट को आप यहां से प्ले करके या पढ़ कर अपनी पूजा को संमपन्न कर सकते हैं. माँ दुर्गा की आरती पढ़े

दुर्गा जी की आरती: ॐ जय अम्बे गौरी…

जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी ।

तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥

मांग सिंदूर विराजत, टीको मृगमद को ।

उज्ज्वल से दोउ नैना, चंद्रवदन नीको ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥

कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै ।

रक्तपुष्प गल माला, कंठन पर साजै ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥

केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्पर धारी ।

सुर-नर-मुनिजन सेवत, तिनके दुखहारी ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥

कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती ।

कोटिक चंद्र दिवाकर, सम राजत ज्योती ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥

शुंभ-निशुंभ बिदारे, महिषासुर घाती ।

धूम्र विलोचन नैना, निशदिन मदमाती ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥

चण्ड-मुण्ड संहारे, शोणित बीज हरे ।

मधु-कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥

ब्रह्माणी, रूद्राणी, तुम कमला रानी ।

आगम निगम बखानी, तुम शिव पटरानी ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥

चौंसठ योगिनी मंगल गावत, नृत्य करत भैरों ।

बाजत ताल मृदंगा, अरू बाजत डमरू ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥

तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता,

भक्तन की दुख हरता । सुख संपति करता ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥

भुजा चार अति शोभित, खडग खप्पर धारी ।

मनवांछित फल पावत, सेवत नर नारी ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥

कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती ।

श्रीमालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योती ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥

श्री अंबेजी की आरति, जो कोइ नर गावे ।

कहत शिवानंद स्वामी, सुख-संपति पावे ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥

जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी ।

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