कैसे करनी चाहिए इनकी पूजा?
दरअसल, मां सरस्वती की पूजा-अर्चना करने से ज्ञान और कला में निपुणता प्राप्त होती है. लेकिन, नील सरस्वती की पूजा करने से धन, सुख-समृद्धि की वृद्धि होती है.
कैसा होता मां का स्वरूप
इनका वर्ण नीला होता है और भुजाएं चार होती हैं. इनके पास एक वीणा भी होती है. यही कारण है कि इन्हें नील सरस्वती के नाम से जाना जाता है.
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क्या है मान्यताएं
ऐसी मान्यता है कि वसंत पंचमी के दिन ही भगवान शिव ने मां पार्वती को धन-संपन्न की अधिष्ठात्री देवी होने का वर दिया था. जिसके बाद से इनका वर्ण नीला हो गया और यह नील सरस्वती के नाम से जानी जाने लगीं.
क्या है नील सरस्वती पूजा का महत्व?
कब-कब करनी चाहिए नील सरस्वती की पूजा?
आपको बता दें कि बसंत पंचमी के अलावा भी नील सरस्वती को पूजते रहना चाहिए. उनकी हर माह के अष्टमी नवमी और चतुर्दशी. तिथि को पूजा करनी चाहिए यह बेहद लाभदायक होता है. विशेष रूप से बसंत पंचमी के दिन तो पूजना ही चाहिए.
नील सरस्वती का पूजा मंत्र: ‘ऐं ह्रीं श्रीं नील सरस्वत्यै नम:’
सरस्वती पूजा का शुभ मुहूर्त (Basant Panchami 2021 Date and Time)
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बसंत पंचमी तिथि: 16 फरवरी 2021
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पंचमी तिथि आरंभ मुहूर्त: 16 फरवरी 2021 की सुबह 03 बजकर 36 मिनट से
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पंचमी तिथि समाप्ति मुहूर्त: 17 फरवरी 2021 को दोपहर 05 बजकर 46 मिनट तक
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सरस्वती पूजा का शुभ मुहुर्त: 16 फरवरी 2021 को सुबह 06:59 से दोपहर 12:35 मिनट तक
Posted By: Sumit Kumar Verma