फैक्ट फाइंडिंग कमेटी ऑन ह्यूमन राइट्स वायलेशन की पांच सदस्यीय टीम शनिवार दोपहर हुगली पहुंची. टीम दिल्ली से कोलकाता होते हुए श्रीरामपुर बांगीहाटी पहुंची. लेकिन चंदननगर पुलिस कमिश्नरेट के डीसीपी विदित राज भूंदेश सहित अन्य अधिकारियों ने टीम को रिसड़ा जाने से रोक दिया. कमेटी के सदस्य व पूर्व आइजी (हरियाणा पुलिस) राजपाल सिंह ने कहा कि पुलिस ने अवैध तरीके से उन्हें हिंसा प्रभावित इलाकों में जाने से रोका है. लेकिन तूफान को रोकना आसान नहीं है. हमें वहां के लोगों की स्थिति जाननी थी. यह भी पता करना था कि सीपी, एसीपी, डीसीपी हिंसा के वक्त कहां थे? एंबुलेंस कब आयी, दमकल कब आया, कितने लोग घायल हुए, कैसे हिंसा फैली आदि. लेकिन पुलिस ने यह कहते हुए हमें रोक दिया कि आप बाहरी हैं.
सिंह ने कहा कि यदि हमें बाहरी कहा जा रहा है, तो इस देश में रहने वाले सभी लोग बाहरी हैं. बंगाल पुलिस को देखकर ऐसा लगता है कि वह राज्य सरकार की सुरक्षाकर्मी है. हम दो दिनों तक इंतजार करेंगे. फिर दिल्ली को रिपोर्ट सौंपेंगे. टीम के अन्य सदस्य संजीव नायक ने कहा कि पुलिस प्रशासन को हमें रोकना नहीं चाहिए. हम तो सिविल सोसाइटी से हैं. हम पॉलिटिकल लोग नहीं हैं. हम सांप्रदायिक सौहार्द को बनाये रखने के लिए जा रहे हैं. हमारा किसी समुदाय से कोई लेना-देना नहीं है. रोके जाने का कारण पूछने पर डीएसपी ने हमें बताया कि वहां धारा 144 लागू है. इसलिए आप वहां नहीं जा सकते.
हमने कहा कि हम प्रोटोकॉल का पालन करते हुए वहां जायेंगे. एक साथ नहीं, बल्कि बारी-बारी से जायेंगे. लेकिन पुलिस हमारी नहीं सुन रही है. कमेटी के एक अन्य सदस्य डॉ चारू वाली खन्ना ने कहा कि हम कानून को मानते हुए हिंसा प्रभावित क्षेत्र में जाना चाहते हैं, फिर भी हमें रोका जा रहा है. बता दें कि सवा घंटे तक इंतजार के बाद आखिरकार टीम लौट गयी.