चना तकनीक की अहमियत लगातार बढ़ती जा रही है. इंटरनेट केवल सूचनाओं और मनोरंजन का ही नहीं है, बल्कि अनगिनत सेवाओं को मुहैया कराने का जरिया बन चुका है. कोरोना संकट से पैदा हुए हालात में तो यह जरूरी चीज बन चुका है. ऐसे में यह खबर उत्साहित करनेवाली है कि हमारे देश में ग्रामीण इलाकों में इंटरनेट का इस्तेमाल करनेवालों की तादाद शहरी क्षेत्र के लोगों से ज्यादा हो चुकी है.
भारत के इंटरनेट और मोबाइल एसोसिएशन की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक देशभर में 50.4 करोड़ सक्रिय इंटरनेट उपयोगकर्ता हैं, जिनमें से 22.7 करोड़ गांव-देहात में हैं और 20.5 करोड़ शहरी क्षेत्र में. उल्लेखनीय है कि ये आंकड़े बीते साल नवंबर महीने तक के हैं. इस रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि पिछले साल मार्च से हर रोज इंटरनेट इसरेमाल करनेवाले लोगों की संख्या में तीन करोड़ करोड़ की बढ़ोतरी हुई है.
इन तथ्यों से यह तो तय है कि सस्ती दरों पर डेटा उपलब्ध होने तथा लोगों की क्रय शक्ति के अनुसार मोबाइल फोन व अन्य डिजिटल चीजों की कीमतें कम होने से लोगों में इंटरनेट के इस्तेमाल की प्रवृत्ति बढ़ी है. सोशल मीडिया के बढ़ते चलन तथा बैंकों और सरकारी विभागों द्वारा कामकाज को डिजिटल बनाने का सकारात्मक असर भी हुआ है. केंद्र और राज्य सरकारों के अनेक कल्याणकारी योजनाओं में लाभुकों के खाते में अनुदान, भत्ते आदि का भुगतान तथा खेतिहरों को उपयोगी सूचनाएं देने जैसी पहलों ने भी लोगों को मोबाइल और इंटरनेट को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया है.
हमारे देश के सक्रिय उपयोगकर्ताओं में लगभग 70 फीसदी लोग रोजाना इंटरनेट सेवा का इस्तेमाल करते हैं. ऐसे लोग शहरों में अधिक हैं. इससे इंगित होता है कि ग्रामीण क्षेत्रों में मनोरंजन या सोशल मीडिया के लिए मोबाइल का अपेक्षाकृत कम उपयोग हो रहा है. इस संदर्भ में दो समस्याओं का संज्ञान लेना आवश्यक है- एक, डेटा सस्ता होने के बावजूद ग्रामीण क्षेत्रों में उसे कम खर्च करने की प्रवृत्ति तथा दूसरा, इंटरनेट की स्पीड में कमी. शहरों में संसाधन बेहतर हैं.
सेवा मुहैया करानेवाली कंपनियों को इन कमियों को दूर करने की कोशिश करनी चाहिए. उम्मीद है कि उपयोगकर्ताओं की संख्या बढ़ने से कंपनियां भी अधिक ध्यान ग्रामीण क्षेत्रों में देंगी. यह भी स्वागतयोग्य तथ्य है कि पुरुषों की तुलना में महिला उपयोगकर्ताओं की संख्या तेज दर से बढ़ी है. सूचना तकनीक के नये दौर में ग्रामीण और शहरी इलाकों के बीच की खाई पाटने के साथ स्त्री-पुरुष उपयोगकर्ताओं की संख्या के असंतुलन को भी कम करना जरूरी है. सस्ते डेटा और मोबाइल ने आमदनी आधारित दरार को बहुत हद तक पाट दिया है. शिक्षा और रोजगार के साथ भी अब तकनीक का जुड़ाव बढ़ता जा रहा है. यदि दरों को कम करते हुए गति बढ़ायी जाए, तो नयी डिजिटल क्रांति बहुत जल्दी साकार होगी.
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