ओडिशा : 105 साल की गोपीनाथ स्वाईं, विनोद महारणा, विनोद कुमार पसायत और भागवत प्रधान को पद्मश्री सम्मान

ओडिशा के स्वांई के अलावा भागवत प्रधान, विनोद महारणा और विनोद कुमार पसायत का नाम पुरस्कार पाने वालों की सूची में है. ‘कृष्ण लीला’ स्थानीय संगीत और गायन के माध्यम से भगवान कृष्ण की लीलाओं का वर्णन करने की कला है.

By Prabhat Khabar News Desk | January 28, 2024 4:55 PM
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ओडिशा से कुल चार लोगों को इस साल पद्म पुरस्कारों के लिए चुना गया है. इनमें गोपीनाथ स्वाईं, विनोद महारणा, विनोद कुमार पसायत और भागवत प्रधान शामिल हैं. मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने चारों को शुभकामनाएं दी और कहा कि आपने राज्य का गौरवान्वित किया है. आपकी वर्षों की साधना सफल हुई है. इधर, इस साल पद्मश्री पुरस्कार के लिए चुने गये सबसे उम्रदराज व्यक्ति 105 वर्षीय गोपीनाथ स्वाईं ने कहा है कि यह प्रतिष्ठित पुरस्कार ‘कृष्ण लीला’ के प्रति उनके करीब नौ दशक के समर्पण का सम्मान है.

जब पद्मश्री देने का ऐलान हुआ, स्वाईं गा रहे थे ‘कृष्ण लीला’

स्वाईं को जब उनके परिवार के सदस्यों ने बताया कि उन्हें पद्मश्री पुरस्कार के लिए चुना गया है, उस समय वह ‘कृष्ण लीला’ गा रहे थे. इस वर्ष ओडिशा के चार लोगों को पद्मश्री पुरस्कार के लिए चुना गया है. ओडिशा के स्वांई के अलावा भागवत प्रधान, विनोद महारणा और विनोद कुमार पसायत का नाम पुरस्कार पाने वालों की सूची में है. ‘कृष्ण लीला’ स्थानीय संगीत और गायन के माध्यम से भगवान कृष्ण की लीलाओं का वर्णन करने की कला है. अपने इलाके में ‘गुरु’ के नाम से जाने जाने वाले स्वांई ने कहा कि इस प्रतिष्ठित पुरस्कार के लिए चुने जाने से वह अभिभूत हैं.

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नौ दशक के समर्पण का सम्मान

स्वांई ने कहा कि यह कृष्ण लीला के अभ्यास के प्रति मेरे करीब नौ दशक के समर्पण का सम्मान है. उम्र मुझे ज्ञान हासिल करने से नहीं रोक सकेगी. मैं अपनी आखिरी सांस तक सीखना जारी रखूंगा. जिला परिषद सदस्य निवेदिता प्रधान ने कहा कि हम बहुत खुश हैं और हमें उन पर गर्व भी है कि उन्हें इस उम्र में इतना प्रतिष्ठित पुरस्कार मिलेगा. वर्ष 1918 में जन्मे स्वांई ने 10 साल की उम्र में अपने पिता के बड़े भाई से कृष्ण लीला सीखना शुरू किया. वह शुरुआत में शास्त्रीय गीत गाते थे और कृष्ण की भूमिका निभाते थे.

अपने गांव में की अखड़ा की स्थापना

बाद में वह इस लोक कला के मुख्य गायक-सह-निर्देशक बन गये. उन्होंने अपने गांव में एक अखड़ा (पारंपरिक नृत्य विद्यालय) की स्थापना की थी और कई ग्रामीण युवाओं को गीत एवं नृत्य का प्रशिक्षण देना शुरू किया.संबलपुर शहर के गीतकार और नाटककार विनोद कुमार पसायत ने उन्हें इस पुरस्कार के लिए चुने जाने पर केंद्र सरकार को धन्यवाद दिया. पसायत ने कहा कि जब मैंने यह खबर सुनी तो मुझे विश्वास नहीं हुआ. मेरी बहू ने बाद में इस खबर की पुष्टि की. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार को बहुत-बहुत धन्यवाद.

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पसायत का छोटा सैलून है उनकी प्रयोगशाला 

पसायत ने कहा कि उनका छोटा सैलून उनकी प्रयोगशाला है जहां उन्होंने शब्दों के साथ प्रयोग किया और साहित्यिक रचनाएं कीं. बरगढ़ के ‘शब्द नृत्य’ लोक कलाकार भागवत प्रधान (85) को भी प्रतिष्ठित पुरस्कार के लिए चुना गया है. उन्हें ‘शब्द नृत्य के दायरे को मंदिर परिसर से अन्य व्यापक मंचों तक विस्तारित करने’ का श्रेय दिया जाता है. पद्मश्री के लिए चुने गए पट्टचित्र कलाकार विनोद कुमार महाराणा को ‘शिल्पी गुरु’ के नाम से भी जाना जाता है. महाराणा ने कहा कि पारंपरिक चित्रकार के तौर पर अपने करियर के दौरान मुझे कई पुरस्कार मिले हैं, लेकिन यह पुरस्कार मेरे लिए विशेष और प्रिय है.

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