पोंगल 2024 के 4 दिन कौन से हैं?
पोंगल पर्व के दूसरे दिन को सूर्य पोंगल, तीसरे दिन माट्टु पोंगल और चौथे दिन को कन्नम पोंगल के रूप में मनाया जाता है. 15 जनवरी 2024 दिन सोमवार को भोगी पोंगल है, इस दिन संक्रांति का समय सुबह 2 बजकर 54 मिनट पर होगा. 16 जनवरी 2024 दिन मंगलवार को सूर्य पोंगल है. वहीं 17 जनवरी 2024 दिन बुधवार को मट्टू पोंगल है. 18 जनवरी 2024 दिन गुरुवार को कन्नम पोंगल का पर्व मनाया जाएगा.
पोंगल पर्व से जुड़ी परंपरा और महत्व
पहली पोंगल को भोगी पोंगल कहा जाता है, जो देवराज इन्द्र का समर्पित हैं. भोगी पोंगल इसलिए कहते हैं क्योंकि देवराज इन्द्र भोग विलास में मस्त रहने वाले देवता माने जाते हैं. इस दिन संध्या समय में लोग अपने अपने घर से पुराने वस्त्र कूड़े आदि लाकर एक जगह इकट्ठा करते हैं और उसे जलाते हैं, इस अग्नि के इर्द गिर्द युवा रात भर भोगी कोट्टम बजाते हैं जो भैस की सिंग का बना एक प्रकार का ढ़ोल होता है.
दूसरी पोंगल को सूर्य पोंगल कहा जाता है. इसदिन पोंगल नामक एक विशेष प्रकार की खीर बनाई जाती है, जो मिट्टी के बर्तन में नये धान से तैयार चावल, मूंग दाल और गुड से बनती है. पोंगल तैयार होने के बाद सूर्य देव को चढ़ाया जाता है. सूर्य देवता को प्रसाद के रूप में यह पोंगल व गन्ना अर्पण किया जाता है.
Also Read: मकर संक्रांति पर्व के कई अलग-अलग नाम, जानें किस प्रदेश में कैसे मनाया जाता हैं खिचड़ी का त्योहार
तीसरे दिन मट्टू पोंगल का पर्व मनाया जाता है. माट्टु भगवान शंकर काबैल है, जिसे एक भूल के कारण भगवान शंकर ने पृथ्वी पर रहकर मानव के लिए अन्न पैदा करने के लिए कहा और तब से पृथ्वी पर रहकर कृषि कार्य में मानव की सहायता कर रहा है. इस दिन किसान अपने बैलों को स्नान कराकर सजाते है. बैल के साथ ही इस दिन गाय और बछड़ों की भी पूजा की जाती है.
चौथे दिन कानुम पोंगल मनाया जाता है, जिसे तिरूवल्लूर के नाम से भी लोग पुकारते हैं. इस दिन घर को सजाया जाता है. आम के पलल्व और नारियल के पत्ते से दरवाजे पर तोरण बनाया जाता है, इसदिन पोंगल बहुत ही धूम धाम के साथ मनाया जाता है. पोंगल के दिन ही बैलों की लड़ाई होती है जो काफी प्रसिद्ध है.