झारखंड के इस जिले में MGNREGA में फर्जीवाड़ा, मजदूरों को न योजना और जगह की जानकारी, फिर भी मिल रही मजदूरी

धनबाद में मनरेगा के तहत रजिस्टर्ड जॉब कार्डधारी मजदूरों को बिना काम किये मजदूरी का भुगतान हो रहा है. इतना ही नहीं, इन मजदूरों को कार्यस्थल की भी जानकारी नहीं होती है. इसके बावजूद उन्हें मजदूरी मिल रही है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 22, 2023 6:36 PM
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धनबाद, संजीव झा : महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के तहत निबंधित जॉब कार्डधारी मजदूरों को बिना काम के ही मजदूरी का भुगतान हो रहा है. मजदूरों को पता नहीं किस योजना में उनको काम मिला है. कार्यस्थल कहां है. बस जब मजदूरी भुगतान की बारी आती है, तो बिचौलिया एवं सीएसपी संचालक उनके घर पहुंच कर अंगूठा लगवाते हैं. मजदूरी मद में जितना भुगतान बनता है उसका 10 फीसदी राशि देकर शेष राशि ले लेते हैं. यह काम धड़ल्ले से चल रहा है. सबको पता है. लेकिन, यहां बिचौलियावाद पूरी तरह हावी है.

मनरेगा योजनाओं का देखिए हाल

प्रभात खबर की टीम ने गोविंदपुर प्रखंड के मरिचो पंचायत के घनुआडीह, हरिहरपुर गांव जाकर मनरेगा योजनाओं का हाल लिया. पता चला कि यहां मजदूरों को काम देने के नाम पर बड़ा खेल चल रहा है. कुछ मजदूरों का जॉब कार्ड तक बिचौलिया अपने पास रखे हुए हैं. कुछ के पास है भी, तो उसमें कोई एंट्री नहीं होती. सारी एंट्री ऑनलाइन ही हो रही है.

कैसे होता है खेल

मनरेगा के तहत हर क्षेत्र में बिचौलिया सक्रिय है. इनका गैंग ही योजनाओं का क्रियान्वयन कराते हैं. लाभुक का नाम अलग-अलग होता है. मजदूरों का नाम भी मास्टर रौल में अलग-अलग होता है. लेकिन, काम कुछ खास लोगों से ही कराया जाता है. बहुत सारे काम मशीन से ही होता है. लगभग हर जॉबकार्डधारी का खाता सीएसपी में खुला हुआ है. मजदूरी का भुगतान भी ऑनलाइन उनके खाता में होता है. सीएसपी संचालक एवं बिचौलिया सारी राशि निकाल लेते हैं. अंगूठा तो लाभुक का ही होता है. लेकिन, राशि बिचौलिया के पास चला जाता है. सामग्री की आपूर्ति भी बिचौलिया गैंग ही करता है.

मनरेगा में क्यों काम नहीं करना चाहते मजदूर

मनरेगा के तहत अभी मजदूरों को प्रति दिन 237 रुपये का भुगतान मजदूरी मद में होता है. एक सप्ताह में अधिकतम छह दिन काम देने का प्रावधान है. यह राशि नगद नहीं मिलती. जबकि दैनिक हाजिरी मजदूरी के रूप में मजदूरों को चार से पांच सौ रुपये प्रतिदिन मिलता है. वह भी नगद. इसके चलते भी मनरेगा से निबंधित बहुत सारे मजदूर अपने जॉब कार्ड को बिचौलिया को दे देते हैं. बदले में उनको 10 फीसदी तक राशि बिना काम के ही मिल जाता है.

केस स्टडी- वन

नाम : राम प्रसाद सिंह, पता घनुआडीह. जॉब कार्ड संख्या जेएच : 21003028007, निबंधन संख्या 003.

इनको लंबे समय से मनरेगा के तहत कोई काम नहीं मिला है. बीच-बीच में क्षेत्र के बिचौलिया आते हैं. अंगूठा लगवाते हैं. अगर छह दिन का मजदूरी होता है तो 150 रुपये. अगर ज्यादा दिन का होता है तो राशि के हिसाब से पैसा मिलता है. लेकिन, इनके जॉब कार्ड में एक लाइन भी ऑफलाइन एंट्री नहीं है. तीन वर्ष बीत जाने के बावजूद पूरा जॉब कार्ड ब्लैंक है.

केस स्टडी-टू

नाम : शक्तिनाथ महतो, पता-हरिहरपुर, जॉब कार्ड संख्या जेएच : 21003028009, निबंधन संख्या -293.

पत्नी नेदिया देवी के नाम भी जॉब कार्ड है. इनका भी पूरा जॉब कार्ड ब्लैंक है. बीच-बीच में बिचौलिया आते हैं. उनके साथ सीएसपी संचालक होते हैं. सामने में अंगूठा लगवा कर पूरी राशि निकाल ली जाती है. उनको भी लगभग 10 प्रतिशत मजदूरी मद की राशि दी जाती है.

केस स्टडी-थ्री

नाम : पूरण सिंह, पता-घनुआडीह, पंचायत : मरिचो, जॉब कार्ड संख्या : पता नहीं.

पूरण सिंह कहते हैं कि उनका जॉब कार्ड क्षेत्र के बिचौलिया अपने पास रखा हुआ है. उसने ही जॉब कार्ड बनवाया था. उसका कहना है कि जो पैसा मिल रहा है. उसे रख लो. जॉब कार्ड वापस नहीं करता. खुद दैनिक मजदूर या अपना कुछ काम कर रोजी-रोटी की जुगाड़ करते हैं.

केस स्टडी-फोर

उमर अली अंसारी, पता-हरिहरपुर, पंचायत : मरिचो. जॉब कार्ड तो है. लेकिन, मांगने पर दिखा नहीं सके.

पूछने पर बोले कि कहीं रखा गया है. क्या काम मिलता है के जवाब में कहते हैं कि मनरेगा के तहत मजदूरी मद में कुछ राशि मिल जाती है.

दोषियों पर होगी कार्रवाई : डीडीसी

इस संबंध में धनबाद डीडीसी शशि प्रकाश सिंह ने कहा कि मनरेगा में अगर मजदूरों को जॉब कार्ड के अनुसार काम नहीं मिल रहा है तो इसकी उच्च स्तरीय जांच करायी जायेगी. नियमानुसार दोषियों पर कार्रवाई भी होगी.

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