Prayagraj News: लिव इन रिलेशन को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दो याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए अहम फैसला सुनाया है. हाईकोर्ट ने कहा कि आज लिव इन रिलेशनशिप जीवन का हिस्सा बन गया है. इसे व्यक्तिगत स्वतंत्रता की दृष्टि से देखा जाना चाहिए, ना कि सामाजिक दृष्टि से. यह टिप्पणी न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर और न्यायमूर्ति आशुतोष श्रीवास्तव की पीठ ने दो अलग-अलग याचिकाओं की सुनवाई के दौरान की.
इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर करके कुशीनगर निवासी शायरा खातून और उसके लिव इन रिलेशनशिप पार्टनर ने गुहार लगाई थी. याचिका में जिक्र किया था कि वो बालिग हैं और साथ रहना चाहते हैं. लेकिन, उनके परिवार के लोग उनके रिश्ते को स्वीकार नहीं कर रहे हैं. परिवार के लोग लगातार उन्हें धमकियां दे रहे हैं. इसकी शिकायत करने के बाद भी स्थानीय पुलिस उनकी मदद नहीं कर रही है.
दूसरी याचिका मेरठ की जीनत परवीन और उनके लिव इन पार्टनर की ओर से दाखिल की गई थी. उन्होंने कहा था कि वो साथ रहना चाहते हैं. लेकिन, परिवार के लोग रिश्ते को स्वीकार नहीं रहे हैं. उनके रिश्ते को लेकर परिवार वालों में नाराजगी है, जिसे लेकर आए दिन धमकियां मिल रही है. सुरक्षा के लिए पुलिस से गुहार लगाई. पुलिस ने सकारात्मक जवाब नहीं दिया. अब, हम सुरक्षा के लिए हाईकोर्ट आए हैं.