Jharkhand News: झामुमो धनबाद महानगर कमेटी की घोषणा के साथ विरोध शुरू, पार्टी के 3 नेताओं ने दिया इस्तीफा
झारखंड मुक्ति मोर्चा धनबाद महानगर कमेटी घोषित होती ही विरोध शुरू हो गया. जैसे ही झामुमो के आधिकारिक व्हाट्सएप ग्रुप में मनोनयन पत्र जारी हुआ, वैसे ही 10 मिनट के भीतर तीन नेताओं ने संयोजक मंडली को संबोधित अपना इस्तीफा ग्रुप में ही लिख डाला.
By Prabhat Khabar Digital Desk | February 15, 2023 5:51 PM
Jharkhand News: झारखंड मुक्ति मोर्चा, धनबाद महानगर कमेटी की घोषणा के साथ ही विरोध भी शुरू हो गया है. खुद की उपेक्षा से झामुमो के कई नेताओं में नाराजगी है. केंद्रीय कमेटी ने धनबाद महानगर की नयी कमेटी घोषित की. इसके तहत मंटू चौहान को अध्यक्ष बनाया गया. वहीं, उपाध्यक्ष अमित महतो, हेमंत कुमार सोरेन, रामू मंडल, भूपेंद्र सिंह चोपड़ा उर्फ बंटी सिंह, फिरदौस अंसारी, मिहिर दत्ता, सचिव अबू तारिक, संगठन सचिव समीर मंडल व सिकंदर आलम, कोषाध्यक्ष टिंकू सरकार, संयुक्त सचिव सुदीप दत्ता व समीर रवानी तथा सोशल मीडिया सदस्य राजेश तुरी बनाये गये हैं.
पार्टी के तीन नेताओं ने दिया इस्तीफा
कमेटी धनबाद, सिंदरी, झरिया और चिरकुंडा नगर परिषद को मिलाकर गठित की गयी. जैसे ही झामुमो के आधिकारिक व्हाट्सएप ग्रुप में मनोनयन पत्र जारी हुआ, नये अध्यक्ष मंटू चौहान का विरोध शुरू हो गया. 10 मिनट के भीतर तीन नेताओं ने संयोजक मंडली को संबोधित अपना इस्तीफा ग्रुप में ही लिख डाला. इनमें नवमनोनीत उपाध्यक्ष अमित महतो, हेमंत कुमार सोरेन और संयुक्त सचिव समीर रवानी शामिल हैं. नेताओं ने संयोजक मंडली को संबोधित कर अपना इस्तीफा ग्रुप में डाला है.
विवाद के चलते पूर्व में भंग कर दी गयी थी कमेटी
झामुमो का अंतर्कलह कोई नया नहीं है. पूर्व जिलाध्यक्ष रमेश टुडू और सचिव पवन महतो के आपसी विवाद के कारण केंद्रीय कमेटी ने जिला कमेटी भंग कर दी थी. कुछ समय बाद जब प्रखंड कमेटियां बनायी जाने लगीं, तो एकबार फिर विवाद और विरोध देखने को मिला. इस कारण संयोजक मंडली को काफी परेशानियों से जूझना पड़ा.
विरोध करने वाले नेताओं ने बताया कि वे लोग पार्टी में कई वर्षों से हैं. कई पदाें पर काम किये. उन्हें इसका अनुभव है, लेकिन इस बार अनुभव नहीं देखा गया. जिसने परिक्रमा की, उसे पार्टी का महानगर अध्यक्ष पद मिल गया. जबकि गत वर्ष ही मंटू चौहान को एक वरीय पदाधिकारी से अभद्रता के कारण केंद्रीय कमेटी ने निष्कासित कर दिया था. झामुमो स्थापना दिवस से पहले मंटू चौहान की पार्टी में फिर से इंट्री हुई और सीधे अध्यक्ष पद मिल गया. उनका कोई जनाधार नहीं है और न ही पार्टी के लोग ही उन्हें ठीक से जानते हैं. नेताओं का कहना है कि पार्टी के प्रति समर्पित लोगों को ही मौका मिलना चाहिए था.