Sankashti Chaturthi 2023: भाद्रपद मास की संकष्टी चतुर्थी आज, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, सामग्री और महत्व

Sankashti Chaturthi 2023: हिंदू धर्म में भाद्रपद मास की चतुर्थी का विशेष महत्व है. भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली चतुर्थी को हेरम्ब संकष्टी चतुर्थी के नाम से जाना जाता है. इस बार भाद्रपद मास की संकष्टी चतुर्थी 3 सितंबर दिन रविवार को है. इस दिन को बहुला चौथ के नाम से भी जाना जाता है.

By Radheshyam Kushwaha | September 3, 2023 9:12 AM
an image

हिंदू धर्म में भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि का विशेष महत्व है. भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली चतुर्थी तिथि को हेरम्ब संकष्टी चतुर्थी के नाम से जाना जाता है. इस दिन हेरम्ब संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखा जाता है. भादो के चौथ का व्रत माताएं अपनी संतान की सलामती और उनकी लंबी उम्र के लिए करती हैं. व्रती महिलाएं भगवान श्रीगणेश की विधि-विधान के साथ पूजा करतीं हैं. संकष्टी चतुर्थी का व्रत करने से श्री गणेश प्रसन्न होते हैं और धन-संपत्ति में वृद्धि होती है.

संकष्टी चतुर्थी व्रत के पुण्य प्रभाव से जीवन से नकारात्मकता दूर होती है. जीवन में खुशहाली व सुख-शांति आती है. मान्यता है कि विघ्नहर्ता जीवन की सभी समस्याओं का निपटारा करते हैं. इसके साथ ही गणेश भगवान अपने भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते है. चतुर्थी तिथि पर चंद्रदर्शन का भी विशेष महत्व होता है.

भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरुआत 02 सितंबर 2023 दिन शनिवार की रात 8 बजकर 49 मिनट पर होगी. वहीं चतुर्थी तिथि का समापन 03 सितंबर 2023 दिन रविवार की शाम 6 बजकर 24 मिनट पर होगी. उदया तिथि होने की वजह से संकष्टी चतुर्थी व्रत 3 सितंबर दिन रविवार को रखा जाएगा. संकष्टी चतुर्थी और बहुला चतुर्थी का व्रत 03 सितंबर 2023 दिन को रखा जाएगा. इस खास दिन पर सर्वार्थ सिद्धि योग और वृद्धि योग का निर्माण हो रहा है, जो पूजा के लिए बेहद ही अच्छा माना जा रहा है.

  • अभिजित मुहूर्त – सुबह 11 बजकर 55 मिनट से दोपहर 12 बजकर 46 मिनट तक

  • विजय मुहूर्त – दोपहर 02 बजकर 27 मिनट से 03 बजकर 18 मिनट तक

  • गोधूलि मुहूर्त – शाम 06 बजकर 41 मिनट से 07 बजकर 04 मिनट तक

  • सर्वार्थ सिद्धि योग- सुबह 10 बजकर 38 मिनट से 4 सितंबर दिन सोमवार की सुबह 06 बजे तक

  • घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें.

  • संभव हो तो इस दिन व्रत भी रखें.

  • गणपति भगवान का गंगा जल से अभिषेक करें.

  • भगवान गणेश को पुष्प अर्पित करें.

  • भगवान गणेश को दूर्वा घास भी अर्पित करें.

  • भगवान गणेश को सिंदूर लगाएं.

  • भगवान गणेश का ध्यान करें.

  • गणेश जी को मोदक या लड्डूओं का भोग भी लगाएं.

  • इस व्रत में चांद की पूजा का भी महत्व होता है.

  • शाम को चांद के दर्शन करने के बाद ही व्रत खोलें.

  • भगवान गणेश की आरती जरूर करें.

संबंधित खबर
संबंधित खबर और खबरें
होम E-Paper News Snaps News reels
Exit mobile version