मकर संक्रांति 15 जनवरी को ही क्यों है?
मकर संक्रांति का पर्व इस साल 15 जनवरी को मनाया जाएगा. क्योंकि ग्रहों के राजा सूर्य 14 जनवरी 2024 की अर्धरात्रि 02 बजकर 42 मिनट पर मकर राशि में गोचर करेंगे. वहीं उदया तिथि 15 जनवरी को प्राप्त हो रही है, इसलिए मकर संक्रांति 15 जनवरी 2024 को है. मकर संक्रांति के साथ ही एक माह का खरमास भी इसी दिन से समाप्त हो जाएगा.
मकर संक्रांति के पीछे की कहानी क्या है?
मकर संक्रान्ति के दिन ही गंगा जी भगीरथ के पीछे-पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होकर सागर में जा मिली थीं, इस दिन यशोदा ने श्रीकृष्ण को प्राप्त करने के लिये व्रत किया था. इस दिन गंगासागर में स्नान-दान के लिए लाखों लोगों की भीड़ होती है. लोग कष्ट उठाकर गंगा सागर की यात्रा करते हैं.
मकर संक्रांति नाम क्यों पड़ा?
ज्योतिषाचार्य के अनुसार शनि मकर राशि का प्रतिनिधित्व कर रहे होते हैं. पिता और पुत्र के आपसी मतभेद को दूर करने और अच्छा संबंध स्थापित करने के लिए सूर्य इस दिन शनि देव की राशि मकर में प्रवेश करते हैं, इस संक्रांति को मकर संक्रांति के नाम से मनाया जाता है.
मकर संक्रांति का भगवान कौन है?
मकर संक्रांति के दिन स्नान दान का विशेष महत्व है. इस दिन सूर्य का मकर राशि में प्रवेश करते है. मकर संक्रांति के दिन स्वर्ग का दरवाजा खुल जाता है, इस दिन गंगासागर में स्न्नान करने का बहुत महत्व है. मकर संक्रांति के दिन भगवान सूर्य की पूजा की जाती है.
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मकर संक्रांति के पर्व की पौराणिक कथा
मकर संक्रांति पर सूर्य देव के रथ से ये खर निकल जाते हैं और फिर सातों घोड़े सूर्य देव के रथ में जुड़ जाते हैं, इससे सूर्य देव का वेग और प्रभाव बढ़ जाता है, इसलिए इस दिन से शुभ कार्य शुरू हो जाते हैं और मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है.