झारखंड: सरना धर्म कोड की मांग को लेकर 30 दिसंबर को बुलाए गए भारत बंद का इस समन्वय समिति ने किया समर्थन
पड़हा राजा सोमा मुंडा ने कहा कि 1951 की जनगणना तक आदिवासियों के लिए अलग धर्म कोड का प्रावधान था. जिसे बाद में भारत सरकार ने हटा दिया और वर्तमान केंद्र सरकार भी इस पर मौन है.
By Guru Swarup Mishra | December 3, 2023 10:10 PM
खूंटी, चंदन: सरना धर्म कोड की मांग को लेकर 30 दिसंबर को बुलाए गए भारत बंद और चक्का जाम का खूंटी सरना धर्म समन्वय समिति ने समर्थन किया है. इसे लेकर रविवार को स्थानीय डाक बंगला में बैठक की गयी. बैठक में पड़हा राजा सोमा मुंडा ने कहा कि सरना धर्म कोड भारत के लाखों प्रकृति पूजकों के अस्तित्व, पहचान, हिस्सेदारी का जीवनरेखा है. आजाद भारत में सरना धर्मावलंबियों को उनकी धार्मिक आजादी से वंचित करना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है.
1951 की जनगणना तक अलग धर्म कोड का प्रावधान था
पड़हा राजा सोमा मुंडा ने कहा कि 1951 की जनगणना तक आदिवासियों के लिए अलग धर्म कोड का प्रावधान था. जिसे बाद में भारत सरकार ने हटा दिया और वर्तमान केंद्र सरकार भी इस चिरपरिचित मामले पर मौन है. 2011 की जनगणना में 50 लाख लोग सरना धर्म लिखने के बावजूद अन्य पर दर्ज करने लिए मजबूर हैं. सरना धर्मावलंबियों को मौलिक अधिकार से वंचित करना असंवैधानिक है. सरना धर्म कोड के बगैर आदिवासियों को जबरन हिंदू, मुसलमान, ईसाई आदि बनाना धार्मिक गुलामी को मजबूर करना है. सरना धर्म कोड की मान्यता मानवता और प्रकृति-पर्यावरण की रक्षार्थ भी अनिवार्य है.
पड़हा राजा सोमा मुंडा ने कहा कि सरना धर्म समन्वय समिति एक दिवसीय भारत बंद और रेल-रोड चक्का जाम करने को मजबूर है. उन्होंने भारत बंद और चक्का जाम में सभी आदिवासियों को हिस्सा लेने का अपील किया. मौके पर मंगा ओड़ेया, सुभासिनी पर्ती, बिरसा कंडीर, विश्राम टूटी, मंगलसिंह मुंडा, सानिका टूटी, पॉलिना टोपनो, सुनील गुड़िया, रोइदास सिंह मुंडा, कार्मू हेमब्रोम सहित अन्य उपस्थित थे.